अमेरिका के एक और राज्य में वोट डालना मुश्किल, पास हुआ मताधिकार को सीमित करने का बिल

अमेरिका के एक और राज्य में वोट डालना मुश्किल

Update: 2021-04-30 16:18 GMT

मताधिकार को विस्तृत या सीमित करने के सवाल पर अमेरिका में दोनों प्रमुख पार्टियों में टकराव लगातार बढ़ रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिस रोज कांग्रेस (संसद) के संयुक्त सत्र में दिए अपने भाषण में मताधिकार को विस्तृत करने की वकालत की, उसी दिन फ्लोरिडा ऐसा नया राज्य बना, जहां रिपब्लिकन बहुमत वाली विधायिका ने मताधिकार को सीमित करने का बिल पास कर दिया। फ्लोरिडा का बिल अब दस्तखत के लिए गवर्नर रॉन डीसेंटिस के पास जाएगा। डीसेंटिस भी रिपब्लिकन पार्टी के हैं। उनके प्रवक्ता ने गुरुवार को एक टीवी चैनल से कहा कि गवर्नर प्रस्तावित नए कानून का समर्थन करते हैं। प्रवक्ता ने कहा- 'नया कानून लागू होने से फ्लोरिडा राज्य चुनाव की सुरक्षा, विश्वसनीयता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के मामले में पूरे देश में अग्रणी बना रहेगा।'

फ्लोरिडा के पहले रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाले कई राज्य इस तरह का कानून बना चुके हैं। गौरतलब है कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे को तत्कालीन रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। ट्रंप की मतदान संबंधी जो शिकायतें थीं, उन्हें लेकर ही रिपब्लिकन शासित राज्यों ने नए कानून बनाए हैं। बीते मार्च में ऐसा कानून जॉर्जिया राज्य में बना था, जिसे लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ। इन कानूनों में आम तौर पर समय से पहले या डाक से मतदान करने को मुश्किल बनाने के प्रावधान हैं। जॉर्जिया के कानून में मतदान के लिए कतार में खड़े लोगों को खाना या पानी देने को अपराध बना दिया गया है।
रिपब्लिकन बहुमत वाले राज्यों में बनाए गए कानूनों के विरोधियों का कहना है कि उनसे गरीब और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए मतदान करना ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। फ्लोरिडा के कानून में ड्रॉप बॉक्स में मतपत्र डालने गए व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करने का प्रावधान है। अमेरिका में आमतौर पर गरीब और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए पहचान पत्र हासिल करना मुश्किल रहता है। फ्लोरिडा के प्रस्तावित कानून में मतदान केंद्र के 150 फीट के क्षेत्र में मतदाताओं को कोई ऐसी चीज उपलब्ध कराना अपराध बना दिया गया है, जिसे मतदान को प्रभावित करने की कोशिश माना जाए। गैर हाजिर मतदाताओं के मतपत्र को कौन लाकर मतपेटी में डाल सकता है, इस बारे में भी नई सीमाएं लगा दी गई हैँ।
फ्लोरिडा की विधायिका के दोनों सदनों में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों ने बिल के पक्ष में मतदान किया। वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों ने इसके खिलाफ वोट डाला। राज्य से डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर जेनेट क्रुज ने अखबार वॉशिंगटन पोस्ट से बातचीत में इस मामले में गवर्नर डीसेंटिस की भूमिका की आलोचना की है। उन्होंने कहा- गवर्नर ने पहले चुनाव के मामले में फ्लोरिडा के रिकॉर्ड की तारीफ करते हुए इसे गोल्ड स्टैंडर्ड बताया था। लेकिन बाद में वे अपनी पार्टी की कहानी के साथ जुड़ गए और बिना किसी सबूत के दावा करने लगे कि पिछले चुनाव में वहां भी गड़बड़ियां हुईं। क्रुज ने कहा- 'नजरिया यह है कि बेहतर उम्मीदवार लाकर अगर आप नहीं जीत सकते, तो दूसरे पक्ष के लिए मतदान को मुश्किल बना कर अपनी जीत सुनिश्चित करें।'
नवंबर 2020 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद से रिपब्लिकन पार्टी ने देश के 47 राज्यों में मताधिकार को मुश्किल बनाने संबंधी 361 बिल पेश किए हैं। जिन राज्यों में इस पार्टी का बहुमत है, वहां इस मकसद से विधेयक पास कराने में पार्टी ने काफी तेजी दिखाई है। उधर कांग्रेस के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में मताधिकार को सीमित करने वाले उपायों को बेअसर करने के लिए एक बिल पारित किया गया है। इस सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत है। लेकिन इस बिल के कांग्रेस के ऊपरी सदन सीनेट में पास होने की संभावना नहीं है, क्योंकि वहां इसके लिए जरूरी वोट डेमोक्रेटिक पार्टी के पास नहीं हैँ।
मताधिकार को लेकर चल रहे इस विवाद पर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर रॉबर्ट रिक ने लिखा है- 'अगर हाउस से पारित हुआ बिल कानून नहीं बनता, तो रिपब्लिकन राज्यों में पारित कानून 2022 के संसदीय चुनाव से पहले लागू हो जाएंगे। इसका असर होगा कि वहां रिपब्लिकन पार्टी की सत्ता वर्षों तक के लिए सुनिश्चित हो जाएगी।' रॉबर्ट रिक ने रिपब्लिकन शासित राज्यों में पारित कानूनों को लोकतंत्र को सीमित कर तानाशाही की दिशा में बढ़ने की कोशिश बताया है।
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