ईरान में कमजोर रहा मतदान, कट्टरपंथी होगा अगला राष्ट्रपति

ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए सुबह से मतदान जारी रहा जिसमें ईरान के लोग इस्लामी क्रांति के बाद अपना आठवां राष्ट्रपति चुनने वाले हैं।

Update: 2021-06-19 02:50 GMT

ईरान में शुक्रवार को राष्ट्रपति पद के लिए सुबह से मतदान जारी रहा जिसमें ईरान के लोग इस्लामी क्रांति के बाद अपना आठवां राष्ट्रपति चुनने वाले हैं। नया राष्ट्रपति उदारवादी माने जाने वाले मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी का स्थान लेंगे। मतदान के कमजोर रुख को देखते हुए माना जा रहा है कि इसमें देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामनेई के कट्टर समर्थक के पक्ष में फैसला आ सकता है।

खबरों के मुताबिक इस बार चुनाव में वोट देने के लिए पंजीयन कराने वालों की संख्या में कमी का नया रिकॉर्ड बना है। ऐसे में कट्टरपंथी माने जाने वाले न्यायपालिका के पूर्व प्रमुख इब्राहिम रईसी की जीत तय हो सकती है।

माना जा रहा है कि इस बार ईरान में चुनावों को लेकर गार्जियन काउंसिल ने भी असामान्य रूप से कड़े नियम लागू किए हैं। ऐसे में रईसी को कड़ी चुनौती देने वाला कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं बचा। साथ ही इन कठोर नियमों ने मतदाताओं का उत्साह कम करने का भी काम किया है।

सरकार से संबद्ध ओपिनियन पोल में भी रईसी को सबसे प्रबल उम्मीदवार बताया गया है। 'सेंट्रल बैंक' के पूर्व प्रमुख अब्दुल नासिर हिम्मती भी उदारवादी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उन्हें मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी जैसा समर्थन हासिल नहीं है।

रईसी पर अमेरिका लगा चुका है प्रतिबंध

यदि इब्राहिम रईसी ईरान के राष्ट्रपति बनते हैं तो वे पहले ऐसे ईरानी राष्ट्रपति होंगे जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है। उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के लिए तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था।

रईसी की जीत से ईरान सरकार पर कट्टरपंथियों की पकड़ और मजबूत होगी। ऐसे में विश्व शक्तियों के साथ ईरान के पटरी से उतर चुके परमाणु करार को बचाने की कोशिश के तहत वियना में जारी वार्ता पटरी से उतर भी सकती है।

गार्जियन काउंसिल के कारण कम हुआ मतदान

ईरान में गार्जियन काउंसिल कानूनविदों और मौलानाओं की एक संस्था है जिसके सदस्य चुने हुए नहीं होते हैं। परिषद ने जब करीब 600 उम्मीदवारों में से सिर्फ सात को चुनाव लड़ने की स्वीकृति दी, तभी से कई मतदाता निराश हो गए थे।

बताया जा रहा है कि काउंसिल ने संसद के पूर्व स्पीकर अली लारीजानी को चुनाव लड़ने से रोक दिया था। उनका मतदाताओं में अच्छा रुझान था। बताया जा रहा है कि गार्जियन काउंसिल के फैसले के कारण भी ईरान में शुक्रवार को मतदान कम हुआ क्योंकि लोगों में वोटिंग को लेकर उत्साह नहीं था।


Tags:    

Similar News

-->