मास्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेहत एक बार फिर से चर्चा में है। इसके पीछे की वजह कुछ तस्वीरें हैं जिनमें पुतिन के हाथ पर अजीब तरह के निशान देखे गए हैं। ब्रिटेन स्थित एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन के हाथों पर अजीब निशान और रंग दिखाती तस्वीरें ऑनलाइन जारी हुई हैं। ऑनलाइन कई यूजर्स ने दावा किया कि यह एक अंतःशिरा (IV) ट्रैक मार्क यानी इंजेक्शन लगाने के निशान है। सेवानिवृत्त ब्रिटिश सेना अधिकारी और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य रिचर्ड डैनट ने स्काई न्यूज पर एक कार्यक्रम के दौरान पुतिन के स्वास्थ्य के मुद्दे के बारे में बात की। उन्होंने आउटलेट को बताया कि यह दर्शाता है कि रूसी राष्ट्रपति कितने स्वस्थ हैं - या नहीं हैं।
लॉर्ड डैनट ने आउटलेट को बताया, "मामले को जानने के उत्सुक लोग अब देख रहे हैं कि उनके (पुतिन के) हाथ ऊपर से काफी काले दिख रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि वे शरीर के अन्य हिस्सों में इंजेक्शन नहीं ले सकते हैं।" उन्होंने कहा, "यह ध्यान रखना दिलचस्प है, कि क्या वह उतने ही फिट हैं जितना की वे दिखावा करते हैं। यह एक दिलचस्प मामला है जिस पर नजर रखी जा सकती है।"
ब्रिटेन के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, लॉर्ड डैनट ने कहा कि पुतिन गंभीर बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमने महीनों पहले ही इस बात का संकेत दिया था कि पुतिन की सेहत ठीक नहीं है वो बीमार हैं। वैसे रूस बार बार दावा करता रहा है कि पुतिन अच्छे स्वास्थ्य में हैं। लेकिन फिर भी लंबे समय से संदेह है कि रूसी राष्ट्रपति कैंसर या पार्किंसंस जैसी बीमारी से पीड़ित हैं। पिछली रिपोर्टों ने यह भी सुझाव दिया था कि नेता के हाथों पर 'इंजेक्शन के निशान' थे। यह सुझाव देता है कि उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है और उन्हें बोलतें चढ़ाई जी रही हैं।
कुछ महीने पहले, एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट ने दावा किया था कि पुतिन "कैंसर" से पीड़ित हो सकते हैं। आकलन में यह भी कहा गया है कि रूसी राष्ट्रपति इस साल मार्च में एक हत्या के प्रयास में बाल-बाल बचे थे। पुतिन इस महीने की शुरुआत में 70 वर्ष के हो गए। उनके जन्मदिन पर उनके स्वास्थ्य के लिए खूब प्रार्थनाएं हुईं थीं। यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन के हाथ पर ताजा काले निशान चौंकाने वाले हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को आर्मीनिया और अजरबैजान के नेताओं की मेजबानी की, ताकि पूर्व सोवियत संघ के दोनों पड़ोसियों के बीच लंबे समय से जारी टकराव के समाधान की कोशिश की जा सके। शांति वार्ता ऐसे वक्त हुई है जब रूस की सेना ने नौवें महीने में प्रवेश कर चुके यूक्रेन युद्ध में उसके महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के अपने अभियान को तेज कर दिया है।