US ने लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी को लेकर लिया बड़ा फैसला, जानें क्या?
लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी
अमेरिका (America) का ऊर्जा विभाग (Energy Department) अपने प्रमुख परमाणु हथियार लेबोरेटरी (Nuclear weapons laboratories) में से एक में और उसके आसपास कैंसर (Cancer) पैदा करने वाले केमिकल का पता लगाने के लिए कड़े टेस्टिंग तरीके को कम करना चाहता है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ एनवायरमेंटलिस्ट और न्यू मैक्सिको रेगुलेटर्स (New Mexico regulators) ने चिंता जताई है. फेडरल एजेंसी लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी में टेस्टिंग के लिए न्यू मैक्सिको की सतही जल नियमों की तीन साल की समीक्षा का उपयोग कर रही है.
लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी (Los Alamos National Laboratory) पॉलीक्लोराइनेटेड बाइफिनाइल या पीसीबी का पता लगाने तक ही सीमित है. मेडिकल रिसर्च से पता चलता है कि ये केमिकल कैंसर की वजह बनता है. पीसीबी की वजह से बच्चों के मस्तिष्क का विकास बाधित हो सकता है, प्रजनन प्रणाली को नुकसान पहुंच सकता है और दिल एवं लीवर रोगों की संभावना बढ़ सकती है. ऊर्जा विभाग का दावा है कि इसकी टेस्टिंग पर्याप्त होगी और राज्य द्वारा जरूरी वर्तमान पद्धति आवश्यकता से कहीं अधिक है. वहीं, सतही जल नियमों की समीक्षा के हिस्से के रूप में आयोजित सुनवाई में पक्षकारों ने अपने तर्क और बयान दिए हैं.
परमाणु बम की जन्मस्थली है लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी
ताओस स्थित एमिगोस ब्रावोस जल संरक्षण संगठन की परियोजना निदेशक रेचल कॉन (Rachel Conn) ने कहा कि ये सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा में कटौती करने का ऊर्जा विभाग का एक और प्रयास है. उन्होंने कहा, ये शर्म की बात है कि हमारे करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल न्यू मैक्सिको के पानी की सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों को ढीला करने और हमारे जल गुणवत्ता मानकों को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है. बता दें कि लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी परमाणु बम की जन्मस्थली है. न्यू मैक्सिको स्थित इस जगह पर पहली बार परमाणु बम को तैयार किया गया था.
लेबोरेटरी करती है प्रदूषण की जांच
लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी के चारों ओर 209 किलोमीटर लंबी धाराएं हैं, जो 93 स्वाक्वायर मील इलाके को कवर करती हैं. ये लेबोरेटरी प्रति घंटे से लेकर कई साल और कुछ मामलों में पांच साल में एक बार प्रदूषण की जांच करती है. न्यू मैक्सिको में यू.एस. एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी पानी को छोड़ने के लिए परमिट जारी करती है. वहीं, राज्य इस बात की जांच करता है कि पानी की गुणवत्ता उसके मानकों को पूरा करती है या नहीं. वहीं, लेबोरेटरी के पास रहने वाले लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि केमिकल युक्त पानी की वजह से उनकी तबीयत बिगड़ सकती है.