पृथ्वी पर पड़ा अप्रत्याशित गर्मी का प्रकोप, NASA ने दी गंभीर चेतावनी
NASA ने दी गंभीर चेतावनी
वॉशिंगटन: जलवायु परिवर्तन संकट के बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चेतावनी दी है कि वर्ष 2005 की तुलना में पृथ्वी दोगुना गर्मी की चपेट में आ रही है। नासा ने कहा कि गर्मी में 'अप्रत्याशित' बढ़ोत्तरी हुई है। नासा और नैशनल ओसेनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिस्ट्रेशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऊर्जा का असंतुलन वर्ष 2005 से 2019 के बीच दोगुना हो गया है। इस बढ़ोत्तरी को 'चिंताजनक' करार दिया गया है।
'ऊर्जा असंतुलन' से मतलब है कि सूरज की 'रेडियोएक्टिव ऊर्जा' को पृथ्वी का वातावरण और सतह कितना अपने अंदर समाहित करता है। इसकी तुलना में 'थर्मल इंफ्रारेड रेडिएशन' कितना अंतरिक्ष में वापस जाता है। नासा ने एक बयान में कहा कि ऊर्जा का असंतुलन बढ़ने का मतलब है कि पृथ्वी पर ऊर्जा बढ़ रही है और इससे धरती गरम हो रही है।
ग्रीन हाउस गैसों की वजह से पृथ्वी का वातावरण गरम
उपग्रहों और समुद्र से मिले आंकड़े के आधार पर वैज्ञानिकों को इस बात का पूरा भरोसा है कि ऊर्जा का अंसतुलन बढ़ रहा है। इस आंकड़े में पृथ्वी पर आने वाली ऊर्जा और यहां से निकलने वाली ऊर्जा की निगरानी की जाती है। नासा का यह निगरानी उपकरण पूरी दुनिया में है और इससे यह सटीक तरीक से पता चल जाता है कि दुनिया के समुद्र किस गति से गरम हो रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने कहा कि धरती की 90 फीसदी ज्यादा ऊर्जा समुद्र में जाती है, इसलिए सैटलाइट सेंसर डेटा समुद्र के तापमान का सटीक आंकड़ा बताता है। नासा ने कहा कि आंकड़ों में जो बदलाव आया है, वह बहुत ही चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाउस गैसों की वजह से पृथ्वी का वातावरण गरम बना हुआ है जिससे सूरज से आया रेडिएशन फंस जाता है और अंतरिक्ष में वापस नहीं जा पाता है।