ईरान पहुंचे संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत, यमन में शांति बहाली पर होगी बातचीत

यमन में चले रहे युद्ध (Yemen War) को समाप्त करने के लिए इस समय काफी प्रयास किए जा रहे हैं.

Update: 2021-02-08 03:14 GMT

यमन में चले रहे युद्ध (Yemen War) को समाप्त करने के लिए इस समय काफी प्रयास किए जा रहे हैं. हाल ही में अमेरिका ने घोषणा करते हुए कहा था कि वह यमन में सऊदी अरब (Saudi Arabi) को दी जा रही सारी सहायता रोक रहा है, जिसमें हथियारों की बिक्री भी शामिल है. अब इस ओर एक और कदम संयुक्त राष्ट्र ने बढ़ाया है. यमन के लिए नियुक्त संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफिथ (Martin Griffiths) अरब क्षेत्र के इस सबसे गरीब और युद्धग्रस्त देश में शांति बहाल करने के उद्देश्य से वार्ता के लिए पहुंचे हैं.

वह रविवार को अपनी पहली ईरान (Iran) की यात्रा पर पहुंचे हैं. ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने इस बात की जानकारी दी है. ग्रिफिथ के कार्यालय के मुताबिक, विशेष दूत अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे. वार्ता का उद्देश्य यमन में छह वर्षों से जारी संघर्ष का राजनीतिक समाधान निकालना है, जहां ईरान समर्थित हूती विद्रोही यमन सरकार के सैनिकों के खिलाफ लड़ रहे हैं.
संघर्ष विराम लागू करना प्राथमिकता
वहीं यमन की फौज को सऊदी अरब नीत सैन्य गठबंधन का समर्थन प्राप्त है. कुछ दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हूती (Houthis) विद्रोहियों के खिलाफ लड़ रहे सऊदी नीत गठबंधन को कुछ हथियारों की बिक्री समेत अपना समर्थन समाप्त करने की घोषणा की थी. इसके बाद विशेष दूत ईरान के दौरे पर आए हैं. ग्रिफिथ के कार्यालय के मुताबिक, यात्रा के दौरान ग्रिफिथ की प्राथमिकता देशव्यापी संघर्ष विराम लागू करने के साथ ही राजनीतिक प्रक्रिया बहाल करने की होगी.
'युद्ध खत्म करना ही होगा'
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने घोषणा करते हुए कहा था कि उनका देश यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व में बीते पांच साल से जारी सैन्य अभियान को समर्थन देना बंद कर रहा है, जिससे अरब प्रायद्वीप के इस सबसे गरीब देश में हालात बहुत मुश्किल हो गए हैं. बाइडेन ने इसे कूटनीति, लोकतंत्र और मानवाधिकार के मोर्चों पर जोर देने की अमेरिका की नीति का हिस्सा बताया है. उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर विदेश मंत्रालय (Joe Biden on Yemen War) के अपने पहले दौरे के दौरान राजनयिकों से कहा, 'इस युद्ध ने मानवीय और सामरिक तबाही मचाई है. इसे खत्म करना ही होगा.'




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