UN रिपोर्ट ने जताई अफगान सेना के लिए चिंता, तालिबान बढ़ा रहा अपनी सैन्य ताकत

संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों (UN Experts) ने शुक्रवार को एक नई रिपोर्ट में कहा है

Update: 2021-06-05 17:06 GMT

संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों (UN Experts) ने शुक्रवार को एक नई रिपोर्ट में कहा है कि तालिबान (Taliban) के लड़ाकों ने अफगानिस्तान सरकार (Afghanistan Government) के साथ शांति की वार्ताओं को आगे बढ़ाने को लेकर हिंसा के स्तर में कमी का कोई संकेत नहीं दिया है. ऐसा प्रतीत होता है कि वे अपनी सैन्य ताकत (Military Power) को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 का 'अप्रत्याशित हिंसा' का दौर 2021 में भी जारी है.

विशेषज्ञ समिति ने कहा कि तालिबान को उन हत्याओं के लिए जिम्मेदार बताया गया है, जोकि हिंसा का प्रतीक बन गई है. इनमें सरकारी अधिकारियों, महिलाओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों एवं अन्य को निशाना बनाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार 'ये हमले सरकार की क्षमता को कमजोर करने और नागरिक समाज को डराने धमकाने के इरादे' से किए गए प्रतीत होते हैं.
अफगान बलों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा अभियान
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सौंपे 22 पन्नों की रिपोर्ट में समिति ने कहा कि अमेरिका और नाटो के सैनिकों की 11 सितंबर (2001 में अमेरिका पर आतंकवादी हमले की बरसी) तक वापसी से अफगान बलों के लिए 'बेहद कम ड्रोन और रडार तथा निगरानी क्षमता के कारण हवाई अभियानों को सीमित करने, कम साजो सामान एवं हथियार के साथ सुरक्षा अभियान चलाना चुनौतीपूर्ण' होगा.
वर्ष 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में गठबंधन सेना ने 11 सितंबर के आतंकवादी हमले के दोषी ओसामा बिन लादेन को पनाह देने वाले तालिबान को अफगानिस्तान से उखाड़ फेंका था. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान विद्रोही 2020 में अपनाए गए हिंसा के रवैये को इस साल भी बरकरार रखते हुए अपनी सैन्य स्थिति को मजबूत करने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
सैनिकों के जाने तक बैठक में शामिल होने से इनकार
तालिबान और अफगानिस्तानी प्रतिनिधियों के बीच बातचीत दोहा, कतर में पिछले सितम्बर में शुरू हुई थी और इस साल की शुरुआत तक चली थी लेकिन तालिबान ने 13 अप्रैल को घोषणा की कि वह तब तक अफगानिस्तान के भविष्य का फैसला करने के उद्देश्य से किसी भी बैठक में भाग नहीं लेगा जब तक कि सभी विदेशी सैनिक नहीं चले जाते.
तालिबान के खिलाफ प्रतिबंधों की निगरानी करने वाले संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने सैनिकों के जाने से पहले और अधिक हिंसा की आशंका जताई है. विशेषज्ञों ने यह भी सवाल किया कि गठबंधन के समर्थन के बिना अफगान सेना का प्रदर्शन कैसा होगा.


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