UK PM Race News: ऋषि सुनक का धोबी पछाड़ दांव, चुनाव में प्रत्याशी के महंगे सूट और जूता बना मुद्दा
जिसकी उन्हें जरूरत है। कीमतों का दबाव कम होगा।'
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री रेस में बहुत तेजी से उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इस चुनाव में कभी ऋषि सुनक का पलरा भारी पड़ता दिख रहा है तो कभी प्रतिद्वंद्वी लिज ट्रस भारी पड़ रही हैं। फिलहाल ब्रिटेन में प्रधानमंत्री की रेस अब एक दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की तर्ज पर ब्रिटेन में पीएम पद के दोनों उम्मीदवारों पर लोगों की नजर टिकी है। कभी देश के आर्थिक हालात का हवाला दिया जा रहा है तो कभी विदेश नीति को लेकर एक नई बहस पर दोनों उम्मीदवार एक दूसरे को घेर रहे हैं। कभी उम्मीदवार के महंगे कपड़े और जूते चुनावी मुद्दा बन रहा है। आइए जानते हैं कि दोनों नेताओं के पक्ष और विपक्ष में क्या दलीलें हैं। ब्रिटेन की सर्वे रिपोर्ट में क्या दावा किया गया है।
ट्रस के विपक्ष में दलील
1- पीएम के रेस में लिज ट्रस और सुनक दोनों में कड़ी टक्कर है। लिज ट्रस को कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य कार्यवाहक प्रधानमंत्री बोरिस जानसन का वफादार मानते हैं, जबकि पार्टी की गुटबाजी से दूर मतदाता बदलाव के पक्षधर हैं। यह माना जा रहा है कि ट्रस, बोरिस जानसन के नजदीक हैं, इसलिए इस चुनाव में सुनक को इसका राजनीतिक लाभ मिल सकता है। इसका लाभ सुनक को मिलता दिखाई दे रहा है। सुनक कई राउंड में अपने प्रतियोगियों को पछाड़ चुके हैं।
2- विदेश नीति को लेकर भी सुनक की टीम ने ट्रस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। यह दावा किया जा रहा है कि ब्रिटेन में ट्रस के शिक्षा मंत्री रहते चीनी शिक्षण संस्थानों को बढ़ावा मिला है। चीन के प्रति उनके झुकाव को चुनावी एजेंडा बनाया जा रहा है। यह दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2012 से लेकर 2014 तक चीन से जुड़े 31 संस्थान खोले गए। इन आंकड़ों के जरिए यह स्थापित करने की कोशिश की जा रही है कि ट्रस का झुकाव चीन की ओर है। सत्ता में रहते हुए उन्होंने चीन के शिक्षण संस्थानों को बढ़ावा दिया है।
सुनक के विपक्ष में दलील
1- कंजर्वेटिव पार्टी के कुछ नेताओं ने सुनक को उनके महंगे सूट और महंगे जूतों के लिए निशाना बनाया है। सुनक संसद के निचले सदन (हाउस आफ कामन्स) में कंजर्वेटिव पार्टी के सबसे अमीर नेता है। सुनक के विरोधियों ने कहा था कि अपने महंगे रहन-सहन के चलते वह आम ब्रिटिश नागरिक से मेल नहीं खाते। गौरतलब है कि सुनक को उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति की संपन्नता के चलते भी निशाना बनाया जाता है, जो इन्फोसिस के संस्थापक एन नारायण मूर्ति की बेटी हैं। अक्षता के पास करीब एक अरब डालर मूल्य के इन्फोसिस के शेयर हैं।
2- ब्रिटेन में कार्यवाहक प्रधानमंत्री जानसन के वफादार और विदेश मंत्री लिज ट्रस के समर्थक मंत्री ने सुनक पर तख्तापलट का सनसनीखेज आरोप लगाया है। ब्रिटेन के संस्कृति नेडिन डोरीज ने यह आरोप जानसन मंत्रिमंडल से सुनक के इस्तीफे को लेकर लगाया है। सुनक ने मंत्री पद से सबसे पहले इस्तीफा दिया था और उसके बाद वह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने। ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता के लिए सुनक को जिम्मेदार ठहराया गया हैं।
एक सर्वे में सुनक, ट्रस से आगे
एक सर्वे में पता चला है कि कंजरवेटिव पार्टी में स्वतंत्र सोच वाले सदस्य सुनक का समर्थन कर सकते हैं। यह उनकी जीत का आधार हो सकता है। इन सदस्यों को किसी गुट का नही माना जाता है। ये परंपरागत सोच वाले नहीं हैं, बल्कि बदलाव के पक्षधर हैं। राजनीति की भाषा में ऐसे मतदाताओं को फ्लोटिंग वोटर कहा जाता है। ब्रिटेन की इंटरनेट आधारित रिसर्च कंपनी ने सर्वे में पाया है कि फ्लोटिंग वोटरों में सुनक विदेश मंत्री लिज ट्रस से ज्यादा लोकप्रिय हैं। रिसर्च फर्म यूगव के एसोसिएट डायरेक्टर पैट्रिक इंग्लिश ने बताया कि फर्म ने पांच हजार ब्रिटिश नागरिकों के बीच यह सर्वे कराया है। इनमें कई कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य भी हैं। दोनों ही राजनीतिक लोकप्रियता के मानदंडों के अनुसार वोट नहीं पा सके, लेकिन पीएम पद के मुकाबले में सुनक आगे हैं।
सुनक का उर्जा बिल पर बड़ा ऐलान
पीएम पद के उम्मीदवार सुनक ने जनता से एक बड़ा वादा किया है। उन्होंने कहा कि अगर वह पीएम बनते हैं तो घरों द्वारा भुगतान किए गए उर्जा बिल पर लगने वाले वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) को खत्म कर दिया जाएगा। टैक्स को लेकर उनकी नीतियों में ये एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि शुरुआत से ही सुनक इस बात पर जोर देते रहे हैं कि वह लुभाने वाली पालिसी से दूर रहेंगे। पूर्व वित्त मंत्री सुनक ने कहा कि VAT के हटने से साल भर में औसत घरेलू उपभोक्ताओं को 160 पाउंड लगभग 15,500 रुपए की बचत होगी। तीन महीने पहले वित्त मंत्री रहने के दौरान सुनक ने उर्जा बिलों में कटौती से इनकार किया था। उस दौरान उन्होंने कहा कि ये परिवारों के लिए एक बड़ी मदद नहीं होगी। लेकिन अब ऋषि ने कहा, 'इस अस्थाई और लक्षित कर कटौती से लोगों को वह समर्थन मिलेगा, जिसकी उन्हें जरूरत है। कीमतों का दबाव कम होगा।'