इटली के पोम्पई में इस हालत में मिले 2000 साल पुराने दो शव, ज्वालामुखी विस्फोट से हुई थी मौत

इटली के संस्कृति मंत्रालय ने जानकारी दी है कि पुरातत्वविदों ने ज्वालामुखी विस्फोट से मारे गए दो लोगों |

Update: 2020-11-24 08:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| इटली के संस्कृति मंत्रालय ने जानकारी दी है कि पुरातत्वविदों ने ज्वालामुखी विस्फोट से मारे गए दो लोगों के असाधारण रूप से संरक्षित अवशेषों की खोज की है. ज्वालामुखी विस्फोट ने तकरीबन 2 हजार साल पाले प्राचीन शहर पोम्पई को पूरी तरह नष्ट कर दिया था. अधिकारियों के मुताबिक जिन दो व्यक्तियों के अवशेष मिले हैं वे एक दूसरे के बगल में पड़े हुए थे, कम से कम दो मीटर गहरी राख की परत भी उन पर मिली है.

एक अमीर शख्स और एक दास के मिले हैं अवशेष

जिन दो व्यक्तियों के अवशेष मिले हैं उनमें से एक उच्च स्थिति या यूं कहिए अमीर आदमी था उसकी उम्र 30 से 40 के बीच थी. उसकी गर्दन के नीचे अभी भी ऊनी लबादे के निशान मिले हैं. दूसरा उसका दास रहा होगा. उसकी उम्र 18 से 23 वर्ष के बीच है. उसने एक अंगरखा पहना हुआ था उसके पास कई क्रस्ड कशेरुक मिले हैं. जिससे यह पता चलता है कि वह एक दास जो काफी श्रम करता था. प्राचीन पोम्पेई के केंद्र से 700 मीटर उत्तर पश्चिम में सिविटा गिउलियाना में अवशेष पाए गए हैं, एक बड़े विला के क्षेत्र में एक भूमिगत कक्ष में खुदाई की जा रही है.

2017 में खुदाई के दौरान मिल चुके हैं घोड़े के भी अवशेष

वहीं पोम्पेई आर्कियोलॉजिकल पार्क के निदेशक मास्सिमो ओसना ने कहा कि शायद ज्वालामुखी फटने पर वे वहां शरण लेने के लिए गए होंगे. बता दें कि 79ईस्वी सदी में ज्वालामुखी फटने से नष्ट हुए प्राचीन रोमन शहर के बाहरी इलाके में भूमध्य सागर के पास एक समय में एक सुंदर विला हुआ करता था जो अब खंडहर हो चुका है. उसी की खुदाई के दौरान दो पुरुषों की खोपड़ी और हड्डियों के अवशेष मिले हैं. इस जगह पर 2017 में खुदाई के दौरान घोड़े के भी अवशेष मिल चुके हैं.

पोम्पई शोध और स्टडी के लिए अविश्वसनीय जगह

वहीं संस्कृति मंत्री डारियो फ्रांसेचिनी ने एक बयान में कहा, '' पोम्पेई शोध और अध्ययन के लिए अविश्वसनीय जगह है." उन्होंने कहा कि पोम्पेई, नेपल्स के दक्षिण-पूर्व में 23 किलोमीटर (14 मील), पर लगभग 13,000 लोगों का घर था, लेकिन ज्वालामुखी विस्फोट ने इसे राख, प्यूमिस कंकड़ और धूल के नीचे दफन कर दिया था, समय बीतने के साथ अब यह ठंडा हो गया है. उन्होंने कहा कि 16 वीं शताब्दी तक अवशेषों की खोज नहीं की गई थी और 1750 के आसपास संगठित खुदाई शुरू हुई थी. हालांकि, हाल ही में, अवशेषों के क्षय या पतन लेकर ध्यान केंद्रित किया गया है.

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