तालिबान की राह पर चला TTP, पाकिस्तान से किसी तीसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय खोलने की मांग की
पाकिस्तान के प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार से मांग की है कि उसे किसी तीसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय खोलने की अनुमति दी जाए, लेकिन इस मांग को सरकार ने ‘अस्वीकार्य’ बताकर खारिज कर दिया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान (Pakistan) के प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के नेतृत्व वाली सरकार से मांग की है कि उसे किसी तीसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय खोलने की अनुमति दी जाए, लेकिन इस मांग को सरकार ने 'अस्वीकार्य' बताकर खारिज कर दिया है. एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने शनिवार को बताया कि शांति समझौते (Peace Deal) को लेकर पाकिस्तानी प्राधिकारियों के साथ बैठकों के दौरान टीटीपी ने तीन मांग रखीं थीं.
इनमें किसी तीसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय खोलने की अनुमति देना, खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के साथ संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों के विलय को पलटना और पाकिस्तान में इस्लामी व्यवस्था लागू करना शामिल है (TTP Threatens Pakistan). अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है, 'लेकिन पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने टीटीपी को प्रत्यक्ष रूप से और तालिबान मध्यस्थों के जरिए बताया कि ये मांग स्वीकार्य नहीं हैं. टीटीपी को स्पष्ट शब्दों में विशेष रूप से बताया गया कि उनकी व्याख्या के आधार पर इस्लामी प्रणाली लागू करने का कोई सवाल ही नहीं है.'
रिपोर्ट के मुताबिक, 'आतंकवादी समूह को बताया गया कि पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य है और देश का संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि पाकिस्तान में सभी कानूनों को इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए.' अखबार ने बताया कि पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने भी टीटीपी के समक्ष तीन मांग रखीं, जिनसें सरकार के आदेश को स्वीकार करना, हथियार डालना और उनके द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्यों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगना शामिल है. अधिकारियों ने कहा कि अगर इन मांगों को पूरा किया जाता है, तो उन्हें माफी देने पर विचार किया जाएगा.
संघर्ष विराम समझौता किया गया
इससे पहले, इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने घोषणा की थी कि सरकार और टीटीपी के बीच संघर्षविराम समझौता हो गया है. टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है. यह एक दशक से अधिक समय में पाकिस्तान में कई हमलों को अंजाम दे चुका है, जिनमें हजारों लोगों की मौत हुई है. यह कथित तौर पर अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी हमलों की साजिश रचने के लिए करता है.
हिंसा रोकने की कोशिश में सरकार
पाकिस्तान सरकार अब अफगानिस्तान के तालिबान के प्रभाव का इस्तेमाल टीटीपी के साथ शांति समझौता करने और हिंसा को रोकने की कोशिश करने के लिए कर रही है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले महीने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि उनकी सरकार, अफगानिस्तान में तालिबान की मदद से 'सुलह' के लिए टीटीपी के साथ बातचीत कर रही है. इस बात को लेकर कई नेताओं और आतंकवाद का शिकार बने कई लोगों ने उनकी काफी आलोचना की थी.