पीटीआई के चार कर्मचारी ताहिर इकबाल, मुहम्मद नोमान अफजल, मुहम्मद अरशद और मोहम्मद रफीक हैं। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि एसबीपी से पीटीआई के चार कर्मचारियों के निजी खातों में बड़ी रकम जमा कराने का रिकॉर्ड मांगा जा रहा है और सबूतों के आलोक में गिरफ्तारी भी की जाएगी।
सूत्र ने कहा, "रिकॉर्डस की फोरेंसिक जांच स्वतंत्र लेखा परीक्षकों (इन्डिपेंडेंट ऑडिटर्स) द्वारा की जाएगी, जबकि एफआईए (संघीय जांच एजेंसी) और एफबीआर (संघीय राजस्व बोर्ड) अपने-अपने स्तर पर रिकॉर्ड प्राप्त करके कार्रवाई करेंगे।"
सरकार ने खान और उनकी पार्टी के फंडिंग की जांच विदेशों में भी करने का फैसला किया है, जहां से कथित तौर पर विभिन्न पीटीआई खातों और सदस्यों को भारी धनराशि भेजी गई है।
सूत्र ने कहा, "सरकार ने पीटीआई और इमरान खान के अंतरराष्ट्रीय बैंक खातों के रिकॉर्ड के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को पत्र लिखने का फैसला किया है।"
भारत और इजरायल समेत बाहरी देशों से विदेशी फंडिंग के आरोपों को लेकर पीटीआई फिलहाल जांच के दायरे में है। इसके संस्थापक सदस्यों में से एक ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) के पास राजनीतिक दल पर प्रतिबंध लगाने और खान को अपने अभियानों के लिए विदेशी धन प्राप्त करने को लेकर एक मुकदमा चलाने की मांग की थी।
सूत्र ने खुलासा किया, "2013 से 2022 तक पीटीआई के विदेशी फंडिंग का रिकॉर्ड भी मांगा जा रहा है।"
पाकिस्तान सरकार पूर्व वित्त मंत्री इशाक डार के कार्यकाल के दौरान अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ एक डेटा विनिमय समझौते पर पहुंची थी और इसका उपयोग वर्तमान जांच प्रक्रिया में कार्रवाई करने के लिए किया जाएगा। सूत्र ने पुष्टि करते हुए कहा, "समझौते के तहत, एफबीआर के पास विदेशी बैंकों से रिकॉर्ड लेने का कानूनी अधिकार है।"
खान की आय की भी जांच की जाएगी और इसमें किसी भी तरह की अनियमितता या अवैधता की जांच की जाएगी। ऐसा लगता है कि खान के साढ़े तीन साल सत्ता में रहने और शरीफ और जरदारी परिवारों पर अवैध संपत्ति और वित्तीय अपराधों के आरोप में लगातार प्रयास करने के बाद, पूर्व प्रधानमंत्री को अब सत्ता में आ चुके अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों द्वारा उसी चुनौती या 'जैसे को तैसा' का सामना करना पड़ रहा है।