ये पर्वत हो रहा छोटा, पर वैज्ञानिकों को नहीं चिंता, जानें क्यों

ग्लोबल वार्मिंग के कई तरह के प्रभाव हमें देखने को मिल रहे हैं. जिनमें

Update: 2021-08-25 10:03 GMT

ग्लोबल वार्मिंग के कई तरह के प्रभाव हमें देखने को मिल रहे हैं. जिनमें से ज्यादातर पर्यावरण के लिए नकुसानदेह तो कुछ अनोखे भी हैं. ऐसा ही एक प्रभाव है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change)में पहाड़ों को हिलाने की शक्ति है. एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्वीडन (Sweden)का सबसे ऊंचा पर्वत केबनेकायसे (Kebnekaise) हाल के कुछ दशकों में तेजी से सिकुड़ रहा है और इसकी वजह पर शोधकर्ताओं को हैरानी भी नहीं हो रही है.

उतार चढ़ाव आता था ऊंचाई में पहले
स्कैनडीनेवियन पर्वतमाला का हिस्सा रहे स्वीडन के केबनेकायसे की दो प्रमुख चोटियां हैं. इसके दक्षिण में स्थित चोटी सिडटॉपन की समुद्र तल ऊंचाई 1968 में 21120 थी जब इसके मापन की शुरुआत हुई थी. इसके बाद इस बर्फीली चोट की ऊंचाई में उतार चढ़ाव आता रहा है, जिसमें कई मौसमी और जलवायु परिवर्तन देखने को मिले जिसमें वर्षण के कारक भी शामिल थे.
कितनी गिरती रही ऊंचाई
लेकिन 1990 के दशक के उत्तरार्ध के बाद इस चोटी की ऊंचाई के आंकड़ों में गिरावट साफ तौर पर दिखने लगी. 1996 में दक्षिणी चोटी की ऊंचाई 2118 मीटर थी, लेकिन साल 1998 में ही इसकी ऊंचाई 2110 मीटर तक ही रह गई जो 2011 में 2100 मीटर से नीच, 2099.7 तक आ गई थी, तब से यह गिरावट का यह दौर कायम है.
खो दिया तमगा
साल 2018 में स्वीडन की केबनेकायसे की दक्षिणी चोटी ने स्वीडन की सबसे ऊंची चोटी होने का तमगा खो दिया और केबनेकायसे की ही उत्तरी चोटी जो कि पथरीली होने के कारण स्थिर है, और केवल बर्फ के जमने-पिघलने से उसकी ऊंचाई कम ज्यादा होती है, स्वीडन की सबसे ऊंची चोटी हो गई है.
हैरानी की बात नहीं
दक्षिण की चोटी की ऊंचाई का कम होना, थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. स्टॉकहोल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नए मापन आंकड़े बताते हैं कि अब सिडटॉपन 2094.6 मीटर की ऊंचाई की हो गया है और शोधकर्ताओं का इसमें कोई हैरानी नहीं है कि ऐसा क्यों हो रहा है. लेकिन फिर भी ऐसा होने से एक चिंता का विषय तो बन ही गया है.
जलवायु पर ग्लेशियर की प्रतिक्रिया और
स्टॉकहोल यूनिवर्सिटी के टार्फला रिसर्च स्टेशन के ग्लेशियोलॉजिस्ट होल्मलोंद ने बताया कि ऊंचाई में विविधता एक अच्छी बात है क्योंकि यह स्वीडन में गर्म होती जलवायु पर ग्लेशियर की प्रतिक्रिया दर्शाता है. फिर भी नए अध्ययन में बताए गए ऊंचाई के अवलोकन और केबनेकायसे के ग्लेशियर के बदलाव बताते हैं कि ये आंकड़े इस चोटी के नया आकार लेने वाली जटिल प्रक्रिया को प्रदर्शित कर रहे हैं.
एक नई समस्या
इस ऊंचाई की कमी का नया रिकॉर्ड एक और समस्या पैदा कर रहा है. चूंकि अब यह चोटी स्वीडन की सबसे ऊंची चोटी नहीं है तो इसका सीधा असर पर्यटन पर पड़ रहा है. अब लोगों की इस चोटी तक आने की दिलचस्पी कम होने लगी है. भविष्य में स्वीडन के ग्लेशियर के लिए भी कोई बहुत अच्छे संकेत नहीं दिख रहे हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि गिरती ऊंचाई की वजह इस चोटी में आकार में बदलाव की वजह से भी है जो पिछले 20 सालोंम कभी जटिल रहा है. यहां दक्षिण और पूर्वी जगहों पर बर्फ की मोटाई बढ़ी है, यहां की चोटी पर पर्यटकों के आने से भी घिसाव जैसे कारकों को बल मिला है. लेकिन इसमें मौसमी कारकों की भूमिका ज्यादा है. इस पर्वत चोटी की बर्फ में अवसादी परतें हैं जिसमें से नीचे की परतें इन बदलावों के बारे में काफी कुछ बता सकती हैं। 
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