यह देश में बुजुर्ग आबादी से है परेशान, अब अधिक बच्चे पैदा करने पर मिलेगा पुरस्कार
देश में नौजवानों की घटती संख्या से परेशान चीन ने एक बार फिर अपनी जनसंख्या नीति में बड़ा बदलाव लाने का फैसला किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : देश में नौजवानों की घटती संख्या से परेशान चीन ने एक बार फिर अपनी जनसंख्या नीति में बड़ा बदलाव लाने का फैसला किया है। एक समय चीन में एक से ज्यादा संतान पैदा करने वाले दंपतियों को दंडित किया जाता था। अब नई नीति के तहत अधिक बच्चे पैदा करने वाले दंपत्तियों को वित्तीय सहायता और अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। ये नीति 2021-25 की पंचवर्षीय योजना में लागू होगी। चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली ने इस बारे में अब विस्तृत जानकारी प्रकाशित की है।
अखबार ने जानकारों के हवाले से कहा है कि नई नीति का मकसद जनसंख्या में संतुलन लाना है। सरकारी अधिकारियों का दावा है कि नई नीति देश की दीर्घकालिक विकास योजना के अनुरूप है। इसके तहत देश भर में नर्सरी सेवाओं का जाल बिछाया जाएगा, ताकि बच्चों के पालन-पोषण का पारिवारिक खर्च घटाया जा सके।
देश में बुजुर्गों की संख्या हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है, जबकि श्रम शक्ति (यानी श्रम कर सकने वाली आबादी का हिस्सा) घटती जा रही है। पांच साल पहले चीन ने वन चाइल्ड (एक संतान) नीति को खत्म कर दिया था। तब दंपत्तियों को दूसरा संतान पैदा करने की इजाजत दी गई थी।
अब चीन के जनसंख्या संघ के उपाध्यक्ष युवान शिन ने कहा है कि नई नीति दो संतानों की इजाजत देने तक ही सीमित नहीं रहेगी। यानी इससे भी अधिक बच्चों को पैदा करने की इजाजत अब दी जा सकती है। चीन ने वन चाइल्ड पॉलिसी 1978 में लागू की थी। तब यह माना गया था कि गरीबी हटाने और अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
इस नीति के कारण 21वीं सदी आते-आते चीन की आबादी में तेजी से गिरावट आई। वह अब भी दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है, लेकिन जनसंख्या विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक 2028 तक भारत इस मामले में उससे आगे निकल जाएगा।
चीन के जनसंख्या विशेषज्ञों के मुताबिक चीन अपनी आबादी को एक सीमा से ज्यादा घटने नहीं देना चाहता है। उनके मुताबिक इस पर और अधिक अनुसंधान की जरूरत है कि किसी दंपत्ति को कितने बच्चों की अनुमति होनी चाहिए। मसलन, तीन बच्चों की इजाजत दी जाए या फिर जनसंख्या नीति को पूरी तरह रद्द कर दिया जाए। नीति को रद्द करने का मतलब यह पूरी तरह लोगों पर छोड़ देना होगा कि वे कितने बच्चे रखना चाहते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक नई जनसंख्या नीति को लागू करते समय देश के अलग-अलग क्षेत्रों की असमानताओं को ध्यान में रखना होगा। उनके मुताबिक सभी हिस्सों के लिए समान नीति लागू करने के बजाय बेहतर यह होगा कि हर क्षेत्र की आवश्यकता के मुताबिक वहां अलग नीति लागू की जाए।
नई नीति की दिशा से साफ है कि घटती आबादी देश के नीति निर्माताओं के लिए बड़ी चिंता का कारण बन गई है। माना जा रहा है कि इसका देश पर बहुत गहरा सामाजिक-आर्थिक प्रभाव होगा। पिछले साल चीन में जन्म दर 10.48 प्रति 1000 व्यक्ति रह गई। यह सात दशकों का सबसे निचला स्तर है।
चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक 2018 की तुलना में 2019 में 5 पांच 80 हजार कम बच्चों का जन्म हुआ। यह लगातार तीसरा साल था, जब जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट आई। गौरतलब है कि ये गिरावट वन चाइल्ड पॉलिसी में छूट दिए जाने के बावजूद आई है।
जनसंख्या विशेषज्ञों के मुताबिक संतुलित जनसंख्या के लिए यह जरूरी होता है कि रिप्लेसमेंट रेट (प्रति महिला जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या) 2.1 रहे। लेकिन चीन में यह दर 1.7 हो गई है। 2017 में चीन के नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन ने कहा था कि चीन की आबादी 2030 में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच जाएगी। लेकिन अनेक अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि ऐसा उसके पहले ही हो जाएगा।
उसके बाद आबादी में गिरावट आने लगेगी। जनसंख्या संबंधी अनुसंधानकर्ता ली यूये ने चाइना डेली को बताया कि चीन की आबादी 2027 में एक अरब 42 करोड़ हो जाएगी। उसके बाद इसमें गिरावट आने लगेगी। 2050 में चीन की आबादी एक अरब 32 करोड़ रहेगी। अभी यह एक अरब 40 करोड़ है।
चीन में 20 से 34 वर्ष उम्र की महिलाओं की संख्या तेजी से घटी है, जबकि इसी उम्र महिलाएं ज्यादातर मां बनती हैं। अगले पांच वर्षों में ये संख्या मात्र 62 लाख रह जाने का अनुमान है। जबकि 60 वर्ष से ऊपर के लोगों की संख्या पिछले साल साढ़े 25 करोड़ थी। यह आबादी का 18.1 फीसदी हिस्सा था। 2050 तक चीन की आबादी का एक तिहाई हिस्सा इसी उम्र वर्ग का होगा।
यानी चीन सबसे बूढ़े लोगों वाला देश होगा। यह किसी भी समाज के लिए चिंता का विषय होता है। इसीलिए अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना में चीन इस समस्या का समाधान तुरंत ढूंढने की कोशिश करने जा रहा है।