ये है दुनिया की सबसे लंबी कार, हेलीपैड से लेकर स्विमिंग पूल तक की है सुविधा
दुनिया में कई अजीबोगरीब चीजें हैं जिनके बारे में जानकर लोग दंग हो जाते हैं. ऐसी चीजें लोगों का ध्यान बहुत खींचती हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया में कई अजीबोगरीब चीजें (Weird Things in the world) हैं जिनके बारे में जानकर लोग दंग हो जाते हैं. ऐसी चीजें लोगों का ध्यान बहुत खींचती हैं. आज हम आपको एक बेहद विचित्र कार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके नाम दुनिया की सबसे लंबी कार (World's Longest Car) होने का रिकॉर्ड दर्ज है. ये कोई मामूली कार नहीं है. इसकी तस्वीर देखकर ही लोग हैरान हो जाते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि इस कार की खासियत क्या है.
'द अमेरिकन ड्रीम' (The American Dream) के नाम से फेमस अजब गजब न्यूज़, दुनिया की सबसे लंबी कार, हेलीपैड, स्विमिंग पूल, द अमेरिकन ड्रीम, लेमोजीन कार, Funny Amazing News, World's Longest Car, Helipad, Swimming Pool, The American Dream, Lemogeon Car,को दुनिया की सबसे लंबी कार होने का गौरव हासिल है. इस कार ने साल 1986 में अपने नाम बेहद खास गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) दर्ज करवाया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस कार की लंबाई 100 फीट है. यानी करीब-करीब ये कार 10 मंजिला इमारत के बराबर है. इस कार को किसी कंपनी ने नहीं, फिल्म के लिए एक गाड़ियों के जाने-माने डिजाइनर जे ओरबर्ग (Jay Ohrberg) ने डिजाइन किया था. अमेरिका के कैलिफॉर्निया (California) में रहने वाले जे को कारों का बहुत शौक था और वो कई कार्स की शानदार डिजाइन बना चुके हैं.
क्या है कार की खासियत
100 फीट लंबी इस लेमोजीन में 26 टायर थे और ये दोनों तरफ से ड्राइव की जा सकती थी. ये 1976 की Cadillac Eldorado limousines पर आधारित थी. डिजाइनर ने इस कार को 1980 के दशक में डिजाइन किया था और उनका ये डिजाइन साल 1992 में सच साबित हुआ. कार के आगे और पीछे वी8 इंजन लगे थे. यही नहीं, कार बीच से मुड़ भी सकती थी. आप जानकर चौंक जाएंगे कि इस कार में स्विमिंग पूल, जकूजी, बाथ टब, छोटा गोल्फ कोर्स, कई टीवी, फ्रिज, और टेलीफोन तो था ही, मगर उससे भी खास बात ये कि इसपर एक हेलीपैड भी बना था जिसपर हेलीकॉप्टर उतर सकता था. कार में 70 लोग बैठ सकते थे.
शुरू हुई कार की मरम्मत
इस कार को फिल्मों में इस्तेमाल करने के ख्याल से ही बनाया गया था. इसे 14 हजार रुपये प्रति घंटे के हिसाब से रेंट पर दिया जाता था मगर धीरे-धीरे कार की मेंटेनेंस पर ध्यान देना कम कर दिया गया. कार को पार्किंग के लिए बड़ी जगह चाहिए थी. और फिल्मों में भी ऐसी कारों की डिमांड कम हो गई इसलिए इसे कबाड़ की तरह फेंक दिया गया. एक कार म्यूजियम ने कबाड़ हो चुकी कार को खरीद लिया था और अब उन्होंने कार के रिपेयर का काम शुरू हो चुका था.