जापान में बढ़ा आधुनिक कब्रिस्तानों का चलन, दिवंगत पूर्वजों के 'दर्शन' के लिए QR कोड का इस्तेमाल
मासायो इसुरुगी टोक्यो में एक इमारत की छठी मंजिल पर बूथ के पास बैठी हैं। वह एक आईडी कार्ड स्कैन करती हैं और अब अपने दिवंगत पति की राख का इंतजार कर रही हैं जो ऑटोमेटेड सिस्टम से उन तक पहुंचेगा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मासायो इसुरुगी टोक्यो में एक इमारत की छठी मंजिल पर बूथ के पास बैठी हैं। वह एक आईडी कार्ड स्कैन करती हैं और अब अपने दिवंगत पति की राख का इंतजार कर रही हैं जो ऑटोमेटेड सिस्टम से उन तक पहुंचेगा। जापान में अब ज्यादातर लोग दफन और शोक को लेकर परंपराओं को तोड़ रहे हैं। गृहनगर कब्रिस्तानों की जगह आधुनिक कब्रिस्तानें ले रही हैं।
दस शोक बूथों में से एक पर 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला प्रतीक्षा कर रही हैं। इसी दौरान दीवारों के पीछे क्रेनें चुपचाप चलती हैं और उनके दिवंगत पति गो की राख वाले कलश को सामने लाती हैं। बूथ के अंदर आकर्षक लकड़ी के दरवाजे आलीशान होटल में एक लिफ्ट की तरह चुपचाप आगे बढ़ते हैं। अब एक चमकदार पत्थर की वेदी निकलती है, जिसमें गो के बॉक्स का केंद्रबिंदु होता है। वहीं मॉनिटर पर उनकी एक तस्वीर दिखाई देती है।
'परिवार की पारंपरिक कब्रिस्तान घर से बहुत दूर'
इसुरुगी ने कहा, "शुरुआत में मुझे लगा कि शायद इन सुविधाओं में ठंड लग सकती है। मैं मिट्टी पर पारंपरिक कब्र को ही पसंद करूंगी। लेकिन अब मुझे लगता है कि एक ऐसी जगह होना बेहतर है जहां मैं जब चाहूं जा सकूं और प्रार्थना कर सकूं। बजाय इसके कि पारिवारिक कब्र हो, जहां मैं शायद ही कभी जा सकूं। मेरे परिवार की पारंपरिक कब्रिस्तान दो घंटे की ट्रेन की सवारी दूर है।"
बढ़ती जनसंख्या से आधुनिक कब्रिस्तानों की मांग
परंपरागत रूप से जापान में अंतिम संस्कार के अवशेषों को कई पीढ़ियों से इस्तेमाल की जाने वाली पारिवारिक कब्रों में रखा जाता है। परिवार के सबसे बड़े बेटे की ओर से उसकी देखभाल की जाती है। लेकिन जापान की असमान रूप से बढ़ रही आबादी ने नई कब्रों की संख्या और इसकी देखभाल करने के इच्छुक व सक्षम युवाओं के बीच असंतुलन बना दिया है। ऐसे में आधुनिक कब्रिस्तानें लोगों को पसंद आ रही हैं।