आर्थिक संकट झेल रहे श्रीलंका में देर रात बिगड़ गए हालात, सरकार ने किया इमरजेंसी का ऐलान
पिछले काफी दिनों से आर्थिक संकट झेल रहे श्रीलंका में हालात फिर बिगड़ गए हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले काफी दिनों से आर्थिक संकट झेल रहे श्रीलंका (Sri Lanka) में हालात फिर बिगड़ गए हैं. जनता में विरोध बढ़ते देख राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) ने शुक्रवार रात देश में इमरजेंसी लागू करने का ऐलान कर दिया. इसके साथ ही सरकार ने बिना इजाजत विरोध प्रदर्शन करने और सड़कों पर उतरने पर भी बैन लगा दिया है.
कोरोना ने तोड़ दी श्रीलंका की कमर
बताते चलें कि श्रीलंका को वर्ष 1948 में अंग्रेजों से आजादी मिली थी. उसके बाद से वह पहली बार इतने बुरे दौर से गुजर रहा है. पर्यटन पर आश्रित रहने वाले श्रीलंका (Sri Lanka) की पिछले 2 साल से चल रही कोरोना महामारी ने कमर तोड़ दी है. रही-सही कसर राजपक्षे सरकार के कई अदूरदर्शी फैसलों ने पूरी कर दी. इन सबके चलते सरकार का खजाना लगभग पूरी तरह खाली हो चुका है.
आलम ये है कि पिछले एक महीने से श्रीलंका (Sri Lanka) में खाने-पीने के सामान और दवाईयों की भयंकर कमी चल रही है. वहां के पेट्रोल पंप खाली पड़े हैं. लोग वहां ईंधन के इंतजार में खड़े हैं लेकिन सरकार के पास तेल खरीदने के लिए डॉलर ही नहीं हैं. देश में पसरे इस गंभीर आर्थिक संकट ने श्रीलंका के 22 करोड़ लोगों की जिंदगी नरक बना दी है.
स्टूडेंट्स ने संसद में घुसने की कोशिश की
सरकार से नाराज लोग पिछले 1 महीने से लगातार सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. शुक्रवार को भी स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने कोलंबो में बनी श्रीलंकाई संसद में घुसने की कोशिश की. स्टूडेंट्स को रोकने के लिए पुलिस ने उन पर पानी की बौछार की और आंसू गैस के गोले दागे. इसके बावजूद जब स्टूडेंट्स टस से मस नहीं हुए तो पुलिस को पीछे हटना पड़ा.
हालात हाथ से निकलते देख श्रीलंका (Sri Lanka) के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) ने शुक्रवार रात देश में आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी. वहीं पर संसद की ओर जाने वाली सड़क पर अब भी हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स और आम लोग जमा हैं और राजपक्षे बंधुओं से सत्ता छोड़ देने की मांग कर रहे हैं. बताते चलें कि गोटाबाया के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं.
दिवालिया होने के कगार पर श्रीलंका
अपने इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है. इस कारण श्रीलंका (Sri Lanka) ने अपने विदेशी ऋण (कर्ज) की अदायगी स्थगित कर दी है. उसे इस साल विदेशी ऋण के रूप में 7 अरब डॉलर और 2026 तक 25 अरब डॉलर अदा करना है. उसका विदेशी मुद्रा भंडार घट कर एक अरब डॉलर से भी कम रह गया है. ऐसे में श्रीलंका के पास इस साल भी विदेशी कर्ज चुकाने जितना पैसा नहीं बचा है.