लीक हुए दस्तावेज से सामने आया चीन का असली चेहरा, उइगर मुस्लिमों को लेकर चीनी सरकार की गुप्त योजना से उठा पर्दा
चीन में उइगर मुस्लिमों पर कैसे जुल्म किए जाते हैं इससे अब पर्दा उठ गया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन में उइगर मुस्लिमों पर कैसे जुल्म किए जाते हैं इससे अब पर्दा उठ गया है। शिनजियांग उइगर बहुसंख्यक क्षेत्र (XUAR) के नजरबंदी शिविरों से मिले लीक दस्तावेज इस बात का खुलासा करता है कि चीनी सरकार किस प्रकार से उइगरों के खिलाफ नरसंहार की योजना बनाती है। यह दस्तावेज शिनजियांग पुलिस की फाइलें बताई जा रही है।
उइगर आबादी को खत्म करने की योजना
रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) के अनुसार इन फाइलों में 20,000 से अधिक हिरासत में लिए गए उइगरों के बारे में जानकारी है। दस्तावेजों में XUAR के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व सचिव चेन क्वांगुओ का मई 2017 का भाषण है। इस भाषण में उन्होंने कहा कि शिनजियांग में चीनी सरकार की कार्रवाई अपराधियों पर नकेल कसने का कार्य नहीं थी, बल्कि उइगर आबादी को खत्म करने की योजना थी। उन्होंने उइगरों को "दुश्मन वर्ग" भी कहा।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इसमें शामिल
क्वांगुओ ने इस भाषण में शिनजियांग पर शासन करने की राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रणनीति का वर्णन भी किया। इसमें चीनी सरकार द्वारा निर्देशित उइगरों की कैद भी शामिल है। फाइलों के मुताबिक, क्वांगुओ ने अपने भाषण में जो निर्देश दिए थे वे चीन की केंद्र सरकार से मिले निर्देशों पर आधारित थे।
उइगर परंपराओं को बताया जहर
अपने भाषण में चेन क्वांगुओ ने उइगरों को 'हानिकारक' लोगों के रूप में उल्लेख किया। इसमें कहा गया कि चीनी सरकार भी इन लोगों को 'आतंकवाद, हिंसा और 'जहर' के अतिवाद से ग्रसित मानती है। शिनजियांग पुलिस फाइलों और लीक दस्तावेजों में जानकारी से पता चलता है कि चेन उइगर परंपराओं और इस्लामी गतिविधियों को ही अपने भाषण में 'जहर' बताते हैं।
अल्पसंख्यकों को अपने तरीके से चलाना चाहता है चीन
अमेरिका में स्थित एक राजनीतिक विश्लेषक और विश्व उइगर कांग्रेस की कार्यकारी समिति के उपाध्यक्ष इलशात हसन कोकबोरे ने कहा कि चीनी सरकार द्वारा उइगरों को बड़े पैमाने पर मनमाने ढंग से हिरासत में लेना यह दर्शाता है कि कैसे इन लोगों के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से साजिश रची जा रही है। चेन के भाषण का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा उइगर परिवारों पर सरकारी नियंत्रण के विस्तार को बताता है।
उन्होंने कहा कि उइगर समुदायों में बदलाव लाने और चीनी विचारों द्वारा उनके जीने के तरीके को आकार देने के लिए बीजिंग ने मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यक पर "राष्ट्रीय भाषा" थोपी।