तालिबान राज में बंदूक के दम पर कम की कलम की ताकत! 150 से अधिक अफगान मीडिया संस्थान बंद

अफगानिस्तान में बंदूक वालों ने अब कलम की ताकत को दबाना शुरू कर दिया है और अब इसका असर यह हो रहा है कि लगातार मीडिया संस्थान बंद हो रहे हैं।

Update: 2021-09-15 04:58 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान में बंदूक वालों ने अब कलम की ताकत को दबाना शुरू कर दिया है और अब इसका असर यह हो रहा है कि लगातार मीडिया संस्थान बंद हो रहे हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा होने के बाद 20 प्रांतों में 153 मीडिया संस्थान ने अपनी गतिविधियां बंद कर दी हैं। इसके लिए स्थानीय मीडिया ने देश में मुक्त मीडिया का समर्थन करने वाले संगठनों का हवाला दिया।

संगठनों के अधिकारियों के अनुसार, बंद होने वाले मीडिया संस्थानों में रेडियो, प्रिंट और टीवी चैनल शामिल हैं। इनके बंद होने में आर्थिक समस्याएं और प्रतिबंध दोनों ही बराबर रूप से जिम्मेदार हैं। अधिकारियों ने कहा कि अगर मीडिया के वित्तीय संकट का समाधान नहीं किया गया और उनके खिलाफ प्रतिबंधों को नहीं हटाया गया तो देश में और अधिक मीडिया संस्थानों के बंद होने की आशंका है।
अफगानिस्तान फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के उप प्रमुख हुजतुल्लाह मुजादादी के हवाले से कहा कि इस प्रवृत्ति की निरंतरता ने चिंताएं पैदा कर दी हैं। हम अंतरराष्ट्रीय संगठनों से इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं। वहीं, टोलो न्यूज के प्रतिनिधि मसरूर लुत्फी के हवाले से टोलो न्यूज ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय संगठनों से इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं। अन्यथा, जल्द ही यह प्रेस की स्वतंत्रता और अन्य मानव और नागरिक स्वतंत्रता का अंत होगा।
इधर, तालिबान के कहर की बात करे तो तालिबान ने कई प्रांतों में एक नया आदेश जारी कर दिया है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई गैर दुर्रानी पश्तून समूहों को घर छोड़ने के आदेश दिए गए हैं। उन्हें कहीं और जाकर रहने का फरमान जारी कर दिया है। ऐसा तब है जब तालिबान हजारा जाति के नौ लोगों की हत्या को लेकर पहले से ही आलोचना का सामना कर रहा है। पेशे से पत्रकार और लेखक नतीक मिलकजादा ने ट्वीट कर कहा, तालिबान ने दाईकुंडी में 300 हजारा परिवारों को घर छोड़ने का आदेश दिए हैं।


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