पोप ने IMF और विश्व बैंक से गरीब देशों के लिए अपील की, कहा- 'कर्ज का बोझ कम हो...
ईश्वर समलैंगिक शादियों जैसी ‘बुराई को आशीर्वाद नहीं दे सकते.’
पोप फ्रांसिस (Pope Francis) ने विश्व वित्तीय प्रमुखों से कहा है कि कोरोनावायरस (Coronavirus) के आर्थिक प्रभाव से प्रभावित गरीब देशों को अपने कर्ज के बोझ को कम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि गरीब देशों (Poor Countries) को वैश्विक स्तर पर फैसले लेने में और अधिक 'अधिकार' दिया जाना चाहिए. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की 'Annual Spring Meeting' में हिस्सा लेने वालों को लिखे पत्र में पोप ने लिखा कि महामारी के चलते दुनिया परस्पर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संकटों से जूझ रही है.
उन्होंने एक नए 'ग्लोबल प्लान' का आह्वान किया जिसमें गरीब और कम विकसित देशों को निर्णय लेने और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने में प्रभावी हिस्सेदारी हासिल हो. उन्होंने कहा कि वैश्विक एकजुटता की भावना गरीब देशों के कर्ज के बोझ में एक महत्वपूर्ण कमी की मांग करती है, जो महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
कानून और नियमों की मदद से काम करें वित्तीय बाजारें
20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूहों के वित्तीय प्रमुखों ने बुधवार को विकासशील देशों के लिए ऋण सर्विसिंग लागत के निलंबन को बढ़ा दिया है. पोप ने कहा कि वित्तीय बाजारों को कानून और नियमों की मदद से यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वो सामान्य भलाई के लिए काम करें. उन्होंने कहा कि हम बाजार के कानून को प्रेम और स्वास्थ्य की प्राथमिकता की जगह लेने की अनुमति नहीं दे सकते. पोप ने राजनीतिक और व्यापारिक नेताओं से 'सभी के लिए, विशेष रूप से सबसे कमजोर और जरूरतमंद लोगों के लिए टीके' देने की अपील भी की है.
वेटिकन ने जारी किया था 'विवादित' आदेश
पिछले महीने एक आदेश जारी करने के बाद पोप विवादों में घिर गए थे. दरअसल मार्च में वैटिकन ने सोमवार को आदेश जारी किया कि कैथोलिक चर्च समलैंगिक शादियों के लिए आशीर्वाद नहीं दे सकता क्योंकि ईश्वर 'बुराई को आशीर्वाद नहीं दे सकते.' इस संबंध में वैटिकन के 'धर्मपरायणता कार्यालय' ने इस सवाल का औपचारिक जवाब जारी किया कि क्या कैथोलिक पादरी वर्ग समलैंगिक शादियों के लिए आशीर्वाद दे सकता है.
प्रश्न के उत्तर में दो पन्नों का स्पष्टीकरण दिया गया था जो सात भाषाओं में प्रकाशित हुआ और इसे पोप फ्रांसिस से मान्यता प्राप्त थी. वैटिकन ने कहा था कि समलैंगिकों के साथ उचित व्यवहार किया जाना चाहिए लेकिन ऐसी शादियों को आशीर्वाद नहीं दिया जा सकता क्योंकि ईश्वर के अनुसार शादी स्त्री और पुरुष के बीच जीवनभर चलनेवाला मिलन है और ईश्वर समलैंगिक शादियों जैसी 'बुराई को आशीर्वाद नहीं दे सकते.'