तालिबान देश के लोगों को उनके शासन की क्रूर वास्तविकता का शिकार, सड़कों पर मारे जा रहे आम नागरिक

कठोर व्याख्या के अनुसार शासन करता था और महिलाओं को बड़े पैमाने पर अपने घरों तक ही सीमित रखा गया था।

Update: 2021-09-23 10:04 GMT

जब से तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभाली है, देश के लोगों को उनके शासन की क्रूर वास्तविकता का शिकार होना पड़ रहा है। सड़कों पर खुलेआम लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। तालिबान के राज में सड़कों पर नागरिक मारे जा रहे हैं, पूर्व सरकार के सदस्यों से बदला लिया जा रहा है और आवाज उठाने वली महिलाओं को पीटा जा रहा है।

एबीसी के अनुसार, काबुल में तालिबान के दमनकारी शासन का विरोध करने वाली कई महिलाओं का कहना है कि अब प्रदर्शनों में भाग लेना बहुत खतरनाक हो गया है। हमें मौत की धमकी मिल रही है। अपने मंत्रिमंडल की घोषणा के दो हफ्ते बाद तालिबान को अफगानिस्तान में लोगों के प्रति कोई दया का भाव नहीं है।
तालिबान ने हाल ही में युद्धग्रस्त देश पर अपना कब्जा जमा लिया था। इस दौरान उसने सार्वजनिक माफी का ऐलान किया था और किसी से भी बदला नहीं लेने की बात कही थी। वहीं, पंजशीर प्रांत में नागरिकों को गोली मारने की खबरें हैं। पंजशीर के एक युवक ने एबीसी को बताया, 'उन्होंने मेरे परिवार पर पांच बार हमला किया।' पंजशीर तालिबान के अधीन आने वाला आखिरी प्रांत था।
एक अन्य स्थानीय ने एबीसी को व्हाट्सएप के माध्यम से बताया कि तालिबान लोगों को अफगानिस्तान की पिछली सरकार के साथ उनके जुड़ाव के बारे में पूछ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'वे हमारे मोबाइल लेते हैं और उनकी जांच करते हैं। अगर उन्हें कोई संदिग्ध तस्वीर मिलती है, तो वे उस व्यक्ति को मार देते हैं।'
महिलाओं के अधिकारों के मुद्दे पर कईबार आश्वासन देते हुए तालिबान ने कहा था कि वे इस्लाम के आधार पर महिलाओं को उनके अधिकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने काबुल में नियंत्रण संभालने के बाद पहली प्रेस कान्फ्रेंस में कहा था कि तालिबान महिलाओं को इस्लाम के आधार पर उनके अधिकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। महिलाएं स्वास्थ्य क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में काम कर सकती हैं जहां उनकी जरूरत है। महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं।'
अफगानिस्तान के लोगों को अभी भी तालिबान शासन का अति रूढ़िवादी इस्लामी शासन याद है। जब नियमित रूप से पत्थरबाजी और सार्वजनिक सजा दी जाती थी। तालिबान इस्लामी कानून की कठोर व्याख्या के अनुसार शासन करता था और महिलाओं को बड़े पैमाने पर अपने घरों तक ही सीमित रखा गया था।

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