पत्रकार के हत्यारे आतंकी अहमद को जेल से रिहा करने का दिया आदेश, ये फैसला ISI की चाल माना जा रहा है....
सिंध हाई कोर्ट ने अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे पाकिस्तानी |
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सिंध हाई कोर्ट ने अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे पाकिस्तानी आतंकी अहमद उमर शेख, फहाद नसीम, सईद सलमान साकिब और शेख मोहम्मद आदिल को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। वॉल स्ट्रीट जनरल के पत्रकार डेनियल पर्ल हत्याकांड की सुनवाई करते हुए सिंध हाई कोर्ट ने कहा कि चारों आतंकवादियों को जेल में रखना गैरकानूनी है। उमर शेख वही हत्यारा है जिसे भारत ने वर्ष 1999 में कंधार में एयर इंडिया के विमान को छोड़ने के बदले में रिहा किया था। उमर शेख को छोड़ने का यह फैसला आईएसआई की चाल माना जा रहा है।
इससे पहले 2 अप्रैल 2020 को हाई कोर्ट ने 18 साल की सजा के बाद इन आतंकवादियों की अपील पर सुनवाई की थी और शेख, साकिब तथा नसीम को बरी कर दिया। कोर्ट ने शेख के मौत की सजा को 7 साल जेल में बदल दिया और उस पर 20 लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना लगाया था। उमर शेख ने पहले ही 18 साल जेल में गुजारे हैं और उसकी सात साल की सजा पूरी हो चुकी है।
उमर ने वेंटिलेटर से लटककर जान देने की कोशिश की
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने कोर्ट से बरी होने के बाद भी उमर शेख को आतंकवाद निरोधक कानून के तहत हिरासत में रखा हुआ है। सिंध हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इन आतंकवादियों को रिहा किया जाए और उनके नाम को नो फ्लाई लिस्ट में रखा जाए ताकि वे देश छोड़कर न जा सकें। जज ने कहा कि ये लोग बिना अपराध किए हुए ही जेल में सड़ रहे हैं।
उमर शेख को बरी करने के कोर्ट के इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी। यहां तक कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद ने भी इस पर हैरानी जताई थी। नैशनल प्रेस क्लब और नैशनल प्रेस क्लब जर्निल्जम इंस्टिट्यूट ने पाकिस्तान की कोर्ट से इस फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की। पर्ल 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख थे और वर्ष 2002 में पाकिस्तान में आतंकवादियों ने उनका अपहरण कर सिर कलम कर दिया था। साल 2014 में उमर ने वेंटिलेटर से लटककर जान देने की कोशिश की थी।
ऐसे समय पर जब पूरी दुनिया कोरोना महासंकट में फंसी हुई है, उमर सईद की सजा को बदला जाना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की एक 'नापाक' चाल माना जा रहा है। आईएसआई को उम्मीद है कि कोरोना संकट की वजह से अमेरिका का ध्यान अभी बंटा हुआ है। इस मौके पर अगर सईद को रिहा किया जाता है तो अमेरिका ज्यादा विरोध नहीं कर पाएगा। दरअसल, कश्मीर में भारतीय सेना की जोरदार कार्रवाई ने आतंकवादियों की कमर तोड़ दी है। इसके अलावा लश्कर प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद और जैश सरगना पर अमेरिका की नजर है। इन्हीं दोनों की वजह से पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं आ पा रहा है।
आईएसआई और पाकिस्तानी सेना को लग रहा है कि अगर उमर सईद बाहर आता है तो उसके लिए कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देना और आसान हो जाएगा। उमर सईद ने ही वर्ष 1994 में कश्मीर में 4 विदेशी पर्यटकों का अपहरण कर लिया था। बाद में सुरक्षा बलों ने एक कार्रवाई में उमर सईद को अरेस्ट कर लिया था। उमर गाजियाबाद समेत देश की कई जेलों में रहा। वर्ष 1999 में एयर इंडिया के विमान के अपहरण के बाद जिन आतंकवादियों को छोड़ा गया, उनमें उमर सईद भी शामिल था। अब आईएसआई 46 साल के सईद का इस्तेमाल एकबार फिर से भारत में आतंकी वारदातों को बढ़ाने में कर सकती है।