अधिकारी ने सोशल मीडिया पर उड़ाया पाकिस्तान सरकार का मजाक, भड़के इमरान ने दे डाला ये आदेश
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सोशल मीडिया पर अपनी सरकार के मजाक से इतना नाराज हो गए हैं कि उन्होंने जांच का आदेश दे डाला है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) सोशल मीडिया पर अपनी सरकार के मजाक से इतना नाराज हो गए हैं कि उन्होंने जांच का आदेश दे डाला है. कैबिनेट डिवीजन के एक वरिष्ठ संयुक्त सचिव हम्माद शमीमी ने इमरान सरकार को लेकर एक पोस्ट किया था, जिससे प्रधानमंत्री और उनके समर्थक आगबबूला हो गए. सरकार का कहना है कि एक सीनियर ऑफिसर का इस तरह सोशल मीडिया पर सरकार का मजाक उड़ाना सिविल सर्विस के नियमों के खिलाफ है, इसलिए मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं.
संयुक्त सचिव हम्माद शमीमी ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि इमरान खान (Imran Khan) की पार्टी और तालिबान के बीच एक समानता ये है कि दोनों को ही समझ नहीं आ रहा कि सत्ता संभालने के बाद सरकार कैसे चलाई जाए? अधिकारी ने आगे लिखा था कि पीटीआई और तालिबान दोनों के लिए उम्मीद का केंद्र आबपारा है. बता दें कि आबपारा इस्लामाबाद स्थित एक जगह है, जिसे अक्सर इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस या आईएसआई के पर्याय के रूप में जाना जाता है, क्योंकि खुफिया एजेंसी का कार्यालय यही है.
गौरतलब है कि इमरान खान बतौर प्रधानमंत्री हर मोर्चे पर विफल रहे हैं. इस वजह से उनकी हर तरफ आलोचना हो रही है. यहां तक कि सरकार में शामिल लोगों को भी उनकी काबलियत पर भरोसा नहीं है.
कंगाल हो गया है पाकिस्तान
इमरान खान ने सत्ता में आने से पहले 'नया पाकिस्तान' का वादा किया था, लेकिन उनके कार्यकाल में मुल्क की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती गई. पीएम खान ने खुद स्वीकार किया है कि सरकार के पास मुल्क चलाने के लिए पैसा नहीं है. इस वजह से उसे विदेशों से कर्ज लेना पड़ता है. विपक्ष शुरुआत से ही इमरान खान को असफल प्रधानमंत्री करार देता आ रहा है और अब जब खान ने खुद आर्थिक कंगाली की बात स्वीकार ली है, तो उसे एक और मौका मिल गया है.
पाकिस्तान आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से नाकाम
साल 2019 के 31 दिसंबर तक पाकिस्तान पर लगभग 40.94 ट्रिलियन रुपयों का कर्ज हो चुका था. ये बढ़ते हुए अब लगभग 45 ट्रिलियन रुपए हो चुका. ये खुलासा सेंट्रल बैंक ऑफ पाकिस्तान ने किया था. खुद पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट इसका संकेत देती है. इसे अगर पाकिस्तान की 21.66 करोड़ की आबादी में बराबर बांटा जाए तो हरेक पाकिस्तानी नागरिक पर कुल 1 लाख 75 हजार रुपयों का कर्ज है.
इमरान सरकार के दौरान कितना बढ़ा कर्ज
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस कर्ज में इमरान सरकार का योगदान 46 फीसदी है, यानी कुल कर्ज में 46 फीसदी कर्ज केवल इसी सरकार के कार्यकाल में बढ़ा. इससे पहले भी पाकिस्तान के हालात खास बेहतर नहीं थे लेकिन बीते सालों में ये और खस्ता हो गया. इसकी एक वजह कोरोना संक्रमण को भी माना जा रहा है. हालांकि पाकिस्तान में गरीबी का हवाला देते हुए और देशों की तुलना में बहुत कम समय के लिए लॉकडाउन लगा लेकिन तब भी इसका असर अर्थव्यवस्था पर हुआ.