कोरोना की नई लहर से एयरलाइन इंडस्ट्री संकट में तेल उद्योग के फिर बुरे दिन शुरू
यूरोप में कोरोना महामारी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: यूरोप में कोरोना महामारी की नई लहर और उस कारण लगाए जा रहे लॉकडाउन के कारण कच्चे तेल उद्योग के फिर बुरे दिन आ गए हैं। कच्चे तेल के दाम में पिछले कुछ दिनों में तेज गिरावट दर्ज हुई है। जर्मनी, फ्रांस और इटली में पिछले हफ्ते नए लॉकडाउन लागू किए गए। ब्रिटेन में गैर जरूरी यात्रा करने वाले लोगों पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अगर कोई ऐसी यात्रा करता पाया गया तो उस पर पांच हजार पाउंड का जुर्माना लगाया जा रहा है।
एयर लाइंस ने कम की उड़ानें
इन पाबंदियों के कारण यूरोप की एयरलाइंस को अपनी उड़ानों की संख्या और किराए में कटौती करनी पड़ी है। नए प्रतिबंध ठीक ईस्टर की छुट्टियों के मौके पर लगे हैं। ईस्टर अगले रविवार को है। लगे ताजा प्रतिबंधों का मतलब है कि अब कम से कम मई के अंत तक विमान यात्राएं सामान्य नहीं हो सकेंगी।
शेयरों के दामों में आई गिरावट
इस हालत को देखते हुए एयरलाइन इंडस्ट्री गहरे संकट में फंस गई है। बीते हफ्ते ब्रिटिश एयरवेज की मालिक कंपनी आईएजी के शेयरों के भाव में 4.4 फीसदी की गिरावट आई। पैकेज ट्रेवल ऑपरेटर टीयूआई के शेयर का भाव 6.1 गिरा। क्रूज ऑपरेटर कार्निवल के शेयरों की कीमत में 5.5 प्रतिशत की कमी आई। इसका सीधा असर कच्चे तेल और इस कारोबार से जुड़ी कंपनियों पर पड़ा है। मसलन, ब्रिटिश पेट्रोलियम कंपनी के शेयरों का भाव पिछले हफ्ते 3.7 फीसदी गिर गया।
तीसरी लहर से उलट गया चक्र
इस साल की शुरुआत में कच्चे तेल का बाजार सुधरने का अंदाजा लगाया गया था। इस कारण मार्च के मध्य तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव बढ़ रहा था, लेकिन उसके बाद कोरोना महामारी की तीसरी लहर आ जाने से चक्र उलट गया है। बीते हफ्ते कच्चा तेल खरीदारी के अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट फ्यूचर्स का भाव पांच प्रतिशत गिर गया। तेल बाजार पर नजर रखने वाली वेबसाइट ऑयलप्राइस.कॉम से बातचीत में तेल बाजार विश्लेषक जनाथन लेइच ने कहा- 'हम जैसे सुधार की उम्मीद कर रहे थे, वह अब पूरा नहीं होने वाला है।'
अमेरिका में सुधर रही है स्थिति, भरपाई का भरोसा
जानकारों के मुताबिक इस समय स्थिति सिर्फ अमेरिका में सुधरती दिख रही है। वहां टीकाकरण की तेज गति से उम्मीद पैदा हुई है। लोगों के यात्रा करने और उड़ानों की संख्या भी बढ़ी है। अमेरिकी एयरलाइन्स के मुताबिक वहां फौरी और दीर्घकालिक टिकट बुकिंग में खासा इजाफा हुआ है। लोग अभी से गर्मियों की छुट्टियों के लिए टिकट बुक करवा रहे हैं। इससे एयरलाइन कंपनियों को आशा है कि यूरोप में जो झटका लगा है उसकी कुछ भरपाई अमेरिका में हो पाएगी।
यूरोप व भारत में नई लहर से चिंता
यूरोप और भारत में कोरोना महामारी की नई लहर से नई चिंताएं पैदा हुई हैं। यूरोप में फिलहाल में हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या 2019 की तुलना में 60 प्रतिशत कम बनी हुई है। ऐसे में तेल बाजार की नजर भारत पर भी टिकी हुई है। आशंका जताई जा रही है कि भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर अगर मौजूदा रफ्तार से बढ़ती रही, तो यहां भी तेल की मांग पर असर पड़ सकता है। भारत दुनिया में तेल के बड़े उपभोक्ताओं में एक है।