रात में फिरोजी पत्थर की तरह चमकती है इंडोनेशिया की रहस्यमयी झील, जाने पीछे का राज

दुनियाभर में कई ऐसी झीलें हैं जो रहस्यों से भरी पड़ी हैं। इन झीलों के रहस्य के बारे में आज तक वैज्ञानिक भी नहीं पता लगा पाए हैं।

Update: 2021-10-03 11:37 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में कई ऐसी झीलें हैं जो रहस्यों से भरी पड़ी हैं। इन झीलों के रहस्य के बारे में आज तक वैज्ञानिक भी नहीं पता लगा पाए हैं। इंडोनेशिया की झील कावाह इजेन भी इन्हीं झीलों में से एक है। यह दुनिया की सबसे ज्यादा अम्लीय झील है। इस झील के पानी का तापमान लगभग 200 डिग्री सेल्सियस बना रहता है, लेकिन इस झील का रंग रहस्यमयी है जिसका पानी रात में फिरोजी पत्थर की तरह चमकता है। 

इंडोनेशिया में लगातार भूकंप आते रहते हैं जिसकी वजह से ज्वालामुखी के फटने की घटनाएं होती रहती हैं। प्रशांत महासागर के किनारे-किनारे स्थित यह क्षेत्र दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग माना जाता है। इसको रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। दुनिया की कुल एक्टिव 75 प्रतिशत ज्वालामुखी इंडोनेशिया में ही है। इनमें से एक ज्वालामुखी का नाम कावाह इजेन है। इसी के नाम पर एक रहस्यमयी झील है जो ज्वालामुखी के पास स्थित है। 

माना जाता है कि कावाह इजेन झील दुनिया की सबसे अधिक अम्लीय झील है और इसका पानी लगातार खौलता रहता है। इसके कारण झील के आसपास कोई रहता नहीं है। इस झील की कई बार सैटेलाइट इमेज जारी की गई जिसमें रात को झील का पानी नीली-हरी रोशनी की तरह दिखाई देता है। इसकी वजह से लोगों का झील की तरफ आकर्षण बढ़ता गया। 

झील इतनी खतरनाक है कि इसके आसपास खुद वैज्ञानिकों की भी लंबे समय तक रहने की हिम्मत नहीं हुई। कई सालों के रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों ने इस फिरोजी रंग का पता लगाया। यह सक्रिय ज्वालामुखी लगातार खौल रही है जिससे हाइड्रोजन क्लोराइड, सल्फ्यूरिक डाइऑक्साइड जैसी कई तरह की गैसें निकलती हैं। इन्हीं गैसों के आपस में मिलने से प्रतिक्रिया होती है जिससे नीला रंग निकलता है। यह नीला रंग ज्वालामुखी से निकलते धुंए का भी होता है और झील के पानी का भी। 

वैज्ञानिकों ने झील की अम्लीयता की जांच करने के लिए तेजाब से भरे इस झील के पानी में एलुमीनियम की मोटी चादर को करीब 20 मिनट के लिए डाला। जब मोची चादर को निकाला गया तो इस चादर की मोटाई पारदर्शी कपड़े जितनी बची हुई थी। 

ज्वालामुखी के कभी भी फटने की आशंका की वजह से डोनेशिया की सरकार ने आसपास चेतावनी लगा दी थी। साल 2012 से यहां पर कोई नहीं पहुंचा, लेकिन इस झील का पानी लगातार चर्चाओं में रहा। हालांकि अभी इस झील से जुड़े कई रहस्य हैं जिनका अभी तक नहीं पता चल पाया है।

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