न्यूजर्सी से अफगान शरणार्थियों का आखिरी समूह रवाना हुआ,अमेरिका में शुरू कर रहे नई जिंदगी
अमेरिका के आठ सैन्य प्रतिष्ठानों में पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हजारों अफगान शरणार्थियों में से शरणार्थियों का आखिरी समूह शनिवार को न्यूजर्सी के एक सैन्य प्रतिष्ठान से रवाना हो गया और इसी के साथ ही अगस्त में काबुल से लोगों को निकालने के साथ शुरु हुआ यह सफर खत्म हो गया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिका (America) के आठ सैन्य प्रतिष्ठानों में पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हजारों अफगान शरणार्थियों (Afghan Refugees) में से शरणार्थियों का आखिरी समूह शनिवार को न्यूजर्सी के एक सैन्य प्रतिष्ठान से रवाना हो गया और इसी के साथ ही अगस्त में काबुल (Kabul) से लोगों को निकालने के साथ शुरु हुआ यह सफर खत्म हो गया है. शरणार्थी पुनर्वास संगठनों की मदद से अफगान लोगों ने हाल के महीनों में सैन्य अड्डों से धीरे-धीरे जाना शुरू कर दिया था और वे अमेरिका में नई जिंदगियों की शुरुआत कर रहे हैं.
तालिबान के काबुल पर कब्जा जमाने के बाद अफगान नागरिकों ने देश छोड़ना शुरू कर दिया था. अमेरिका ने 'ऑपरेशन एलीज वेलकम' के तौर पर 76,000 अफगान लोगों को स्वीकार किया, जो दशकों में देश में सबसे बड़ी संख्या में शरणार्थियों का पुनर्वास है. इस कवायद में भाग ले रहे नौ राष्ट्रीय पुनर्वास संगठनों में से एक 'लुथरन इमिग्रेशन एंड रिफ्यूजी सर्विस' के सीईओ और अध्यक्ष कृष ओ'मारा विग्नराजा ने कहा, 'ऑपरेशन एलीज वेलकम में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है.'
खतरे के बीच रहने को मजबूर अफगान
उन्होंने कहा कि अफगान अब भी अपने देश में तालिबान शासन के तहत खतरे का सामना कर रहे हैं और साथ ही जो लोग अमेरिका में आए हैं, उन्हें अब भी मदद की आवश्यकता होगी. आंतरिक सुरक्षा विभाग ने बताया कि अमेरिका की अगले साल तक हजारों अफगान शरणार्थियों को शरण देने की योजना है लेकिन वे छोटे-छोटे समूहों में आएंगे और उन्हें एक स्थान पर ठहराया जाएगा, जो अभी तय नहीं किया गया है. बहुत से अफगान लोग तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए पड़ोसी देशों में भी चले गए थे.
देश की आर्थिक हालात हुई बेकार
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है. यहां नकदी का काफी तंगी हो गई है. अमेरिका ने भी अफगानिस्तान के जब्त फंड को रिलीज करने से इनकार कर दिया है. इस पैसे को 9/11 हमले के पीड़ितों के परिवारों और अफगान लोगों के लिए खर्च किया जाएगा. पैसा सीधे तालिबान को देने से इनकार कर दिया गया है. महिलाओं और लड़कियों की स्थिति अब भी दयनीय बनी हुई है. लड़कियों के लिए स्कूल के दरवाजे पूरी तरह बंद हो गए हैं.