बदलेगा गैलेक्सी का इतिहास, कुछ अलग ही तरह से बिखरी हैं आकाशगंगा में गैसें
खगोलविदों ने हमारी गैलेक्सी मिल्की वे पर काफी शोध किया है
खगोलविदों ने हमारी गैलेक्सी मिल्की वे पर काफी शोध किया है. गैलेक्सी के कई तारों के अध्ययन के साथ उन्होंने मिल्की वे की संचरना के बारे में भी बहुत पड़ताल की है जिसका वे और गहनता से अध्ययन करने का प्रयास कर रहे हैं. हाल ही में खगोलविदों ने मिल्की में मौजूद गैसों और धातुओं की संरचना (Structure of Gases and Matals) का अवलोकन किया है जिससे उन्हें चौंकाने वाली जानकारी मिली है. उन्होंने पाया कि इस बार उन्हें गैलेक्सी की गैसों की संरचना अब तक सुझाए गए मॉडलों के बिलकुल विपरीत मिली है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई जानकारी के मिलने से गैलेक्सी के इतिहास की जानकारी प्रभावित होगी.
एक सा वितरण नहीं हैं गैसों का
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके अवलोकन में पाया गया कि गैलेक्सी में गैसें समान रूप से मिश्रित नहीं हैं. उसके इतिहास और विकास को समझने के लिए खगोलविद उन गैसों और धातुओं कि संरचना का अध्ययन कर रहे हैं जिनसे उसके अहम हिस्सों का निर्माण हुआ है. इसमें तीन तत्व- बाहर से आने वाली शुरुआती गैस, तारों के बीच तत्वों से समृद्ध गैस, और गैसों में संघनित धातुओं से बनी धूल प्रमुख थे.
पहले कुछ और ही माना जाता था
अभी तक सैद्धांतिक मॉडल यह मानते थे कि ये तीन तरह के तत्व पूरी गैलेक्सी में समान रूप से मिले और बिखरे हुए थे और उनका रासायनिक संवर्धन इस स्तर तक पहुंच गया था कि वह सूर्य के वायुमंडल से मेल खाने लगा था जिसे सौर धात्विकता या सोलर मैटेलिसिटी कहते हैं.
अलग ही तरह का मिश्रण
आज जिनेवा यूनिवर्सिटी के खगोलविदों की टीम ने यह दर्शाया कि ये गैसें और धातु उस तरह से नहीं मिले हैं जैसा कि पहले सोचा जाता रहा है. इसका गैलेक्सी के विकास की वर्तमान जानकारी पर गहरा असर होने वाला है. इसका नतीजा यह होगा कि मिल्की वे के विकास के सिम्यूलेशन को फिर से सुधारना होगा. ये नतीज जर्नल नेचर में प्रकाशित हुए हैं.
कैसे बनती है गैलेक्सी
गैलेक्सी तारों के समूह और गैलेक्सी के बीच के माध्यम की गैसों (अधिकांश हाइड्रोजन और थोडी हीलियम) के संघनन से बनती हैं. इस अध्ययन की प्रथम लेखिका और UNIGE के खगोलविज्ञान विभाग की साइंस फैकल्टी एनालिसा डि सिया ने बताया कि इन गैसों में गैलेक्सी की गैस की तरह धातु या अन्य तत्व नहीं होते. गैलेक्सी में बाहर से आने वाली वर्जिन गैस ईंधन की तरह काम करती है जिससे नए तारों के निर्माण की प्रक्रिया को बल मिलता है.