बाहरी दुनिया के लिए यूक्रेन के ओडेसा पोर्ट से अनाज का पहला शिपमेंट आज होगा रवाना
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन के लिए आज बेहद अहम दिन है। अहम दिन इसलिए क्योंकि आज उसके ओडेसा पोर्ट से बाहरी दुनिया के लिए अनाज का पहला शिपमेंट डिलीवर होने वाला है। रूस और यूक्रेन के बीच इसको लेकर पिछले माह डील साइन की गई थी। इस डील के गवाह संयुक्त राष्ट्र और तुर्की बने थे। तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में हुई इस डील के तहत रूस ने यूक्रेन के अनाज निर्यात के लिए सुरक्षित मार्ग देने की बात मान ली थी। संयुक्त राष्ट्र ने इस डील पर खुशी का इजहार करते हुए कहा था कि इससे दुनिया में व्याप्त खाद्य संकट से बचा जा सकेगा।
गोदामों में बंद पड़ा लाखों टन अनाज
आपको बता दें कि रूस से जारी जंग के बीच यूक्रेन का लाखों टन अनाज विभिन्न गोदामों में बंद पड़ा था। इसकी वजह से दुनिया में खाद्य संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। वहीं यूक्रेन रूस के हमलों के मद्देनजर इसको निर्यात नहीं कर पा रहा था। इसके बाद ही यूक्रेन के राष्ट्रपति ने इस अनाज के सुरिक्षत निर्यात के लिए यूएन और तुर्की से मदद मांगी थी। हालांकि इस डील के एक दिन बाद ही रूस ने ओडेसा में यूक्रेन के हथियार डिपो पर मिसाइलों से हमला किया था। इसके बाद इस डील पर सवाल भी उठ रहे थे। हालांकि, रूस ने अपनी सफाई में ये कहा था कि उसने ये हमला केवल यूक्रेन के हथियार डिपो को निशाना बनाते हुए किया है। वो यूक्रेन के अनाज को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
यूक्रेन के अनाज पर निर्भर कई देश
आपको बता दें कि यूक्रेन के अनाज पर विश्व के कई देश निर्भर रहते हैं। इन देशों में कुछ अफ्रीकी देश भी शामिल हैं। इन्हें संयुक्त राष्ट्र के फूड प्रोग्राम के तहत भी अनाज मुहैया करवाया जाता है। सनफ्लावर आयल के मामले में यूक्रेन की तूती बोलती है। भारत की जरूरत का करीब 70 फीसद सनफ्लावर आयल यूक्रेन से ही आता है। विश्व में सनफ्लावर की मांग को पूरी करने में में यूक्रेन 42 फीसद की हिस्सेदारी रखता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इसमें रुकावट आने की वजह से भारत समेत दुनिया के दूसरे देशों में भी सनफ्लावर आयल की कीमतों में उछाल देखा गया था। हालांकि, अब यूक्रेन के अनाज के पहले शिपमेंट के सुरक्षित रवाना होने के बाद ये साफ हो जाएगा कि अनाज को लेकर दुनिया में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
अनाज निर्यात को लेकर रूस-यूक्रेन में समझौता
अनाज निर्यात को लेकर यूक्रेन-रूस के बीच हुआ ऐतिहासिक समझौता दुनिया के दूसरे देशों के लिए जहां राहत की खबर है वहीं भारत के लिए भी ये एक बड़ी राहत है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत अपनी Sun Flower Oil की जरूरत के लिए यूक्रेन पर ही निर्भर है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूक्रेन से निर्यात होने वाले सनफ्लावर आयल का करीब 42 फीसद हिस्सेदारी है। इस लिहाज से इस क्षेत्र में उसकी तूती बोलती है। भारत अपनी जरूरत का करीब 76 फीसद सनफ्लावर आयल यूक्रेन से ही निर्यात करता है। इस लिहाज से रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग का प्रभाव दूसरे मुल्कों के अलावा भारत पर भी पड़ा है।