तालिबानी कब्जे वाले अफगानिस्तान में जुमे की पहली नमाज अदा की गई, ऐसे रहे हालात
अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे ने पूरे देश की शक्लो-सूरत, हालात सब कुछ बदल दिए हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबानी (Talibani) कब्जे ने पूरे देश की शक्लो-सूरत, हालात सब कुछ बदल दिए हैं. जो लोग मजबूरी में वहां रह गए हैं वे भी स्थितियों से समझौता करके डर के साए में नए तरीके से जिंदगी जीने की कोशिश कर रहे हैं. इसी बीच तालिबानी कब्जे वाले अफगानिस्तान में जुमे की पहली नमाज अदा की गई. इस दौरान भी हालात आम जुमे (Jume Ki Namaz) की नमाज से काफी जुदा रहे और लोगों ने हथियारों के साए में खुदा की इबादत की.
तालिबानी कब्जे के बाद पहला जुमा
मुस्लिम समुदाय में शुक्रवार (Friday) यानी कि जुमे के दिन पढ़ी जाने वाली नमाज बहुत खास होती है. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Kabul) हथियाने के बाद लोगों ने तालिबानी साए में इस जुमे की नमाज अदा की. काबुल के उत्तर पश्चिम में एक मस्जिद में लोगों ने हथियारबंद लड़ाकों से घिर कर यह नमाज पढ़ी.
इमाम के बगल में हथियादबंद लड़ाके
नमाज के दौरान हथियारबंद तालिबानी लड़ाके (Taliban Fighters) न केवल मस्जिद में मौजूद रहे, बल्कि कुछ लड़ाके तो इमाम के बगल में ही खड़े रहे. नमाज के दौरान ऐसी स्थिति शायद ही पहले कभी रही हो.
सामान्य स्थिति में लौटा हेरात
हेरात (Herat) में स्थानीय लोग सामान्य स्थिति में लौट रहे हैं. उन्होंने जामा मस्जिद में जुमे की नमाज अदा की. तालिबान द्वारा इस शहर पर कब्जा जमाने के करीब एक हफ्ते बाद अब लड़कियों ने भी अब स्कूल जाना शुरू कर दिया है.
'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान'
तालिबान ने रविवार को अफगानिस्तान पर पूरी तरह कब्जा कर लिया और इसे 'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान' घोषित कर दिया.
वाकई अलग होगा तालिबान का दूसरा कार्यकाल?
1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन कर चुके तालिबान ने तब यहां के लोगों पर अत्याचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. बल्कि उसकी याद तो आज भी रूह कंपा देती है लेकिन अब तालिबान ने दावा किया है कि इस बार चीजें अलग होंगी. जबकि स्थानीय लोग देश की एक अलग सच्चाई बयां कर रहे हैं. महिलाओं को यह कहकर घर भेजा जा रहा है कि अब वे बदले हुए शासन में काम नहीं कर सकती हैं.