पाकिस्तान पर मंडराया अनिश्चितता के गर्त में समाने का खतरा, बिगड़ सकते हैं हालात
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को संसद भंग करने की सलाह दी
इस्लामाबाद, एजेंसियां। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को संसद भंग करने की सलाह दी। इमरान सरकार ने संसद सत्र को निलंबित करते हुए देश में नए सिरे से चुनाव कराने का एलान कर दिया है जबकि विपक्ष ने सरकार के कदम को गैर सांविधानिक बताते हुए संसद में बवाल शुरू कर दिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पूरे सियासी घटनाक्रम पर संज्ञान लिया है। ऐसे में पाकिस्तान फौज पर नजरें थीं लेकिन वह कोई कदम नहीं उठा रही है। ऐसे में रायटर के मुताबिक एक परमाणु हथियार संपन्न और 22 करोड़ की आबादी वाले मुल्क में अनिश्चितता का दौर शुरू हो गया है।
सूचना मंत्री फवाद चौधरी का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद-224 के तहत प्रधानमंत्री अपनी जिम्मेदारियों को जारी रखेंगे। वहीं विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने संसद में धरना देने की बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही। विपक्ष हमलावर है और इमरान खान पर भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में विफल रहने का आरोप लगा है। दूसरी ओर इमरान सबूतों का हवाला दिए बगैर परोक्ष रूप से कह रहे हैं कि उन्हें सत्ता से बेदखल करने की साजिश संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा रची गई है। हालांकि अमेरिका इससे इनकार कर रहा है।
समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक विश्लेषकों का कहना है कि इमरान खान जो साल 2018 में सेना के समर्थन के जरिए सत्ता में आए थे अब उसकी छत्रछाया से बाहर हो गए हैं। यदि पाकिस्तान के इतिहास पर नजर डालें तो 1947 में अंग्रेजों से आजादी के बाद से इस मुल्क में किसी प्रधानमंत्री ने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। कई मौकों पर सेना के ताकतवर जनरलों ने पाकिस्तान पर शासन किया है। बड़ी बात यह कि परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान का पड़ोसी भारत के साथ टकराव बारहमासी है। ऐसे में एकबार फिर पूरे मुल्क के अनिश्चितता के गर्त में समाने का खतरा पैदा हो गया है।
पाकिस्तान अस्थिरता का आलम तब है जब वह उच्च मुद्रास्फीति यानी भयावह महंगाई, घटते विदेशी भंडार और बढ़ते राजकोषीय घाटे का सामना कर रहा है। मौजूदा सूरते-हाल यह है कि पाकिस्तान को विदेशी कर्जों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीच नए कर्ज को लेकर एक डील भंवर में है। आर्थिक संकट के अलावा पाकिस्तान को पड़ोसी अफगानिस्तान में दखलंदाजी और तालिबान को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक दबाव को साधने की चुनौती का सामना भी करना पड़ रहा है। ऐसे में मौजूदा घटनाक्रम से हालात को और जटिल बना दिया है। आलम यह कि इस्लामाबाद में अर्धसैनिक बलों ने भी मोर्चा संभाल लिया है।