इस चिड़ियाघर में नर्क से भी बदतर हैं जानवरों के हालात, रहने को मजबूर हैं बेजुबान
इंसानों ने अपने मनोरंजन के लिए चिड़ियाघरों का निर्माण करवाया. इन जगहों पर जानवरों को देखने के लिए लोग अपनी फैमिली के साथ आते हैं
इंसानों ने अपने मनोरंजन के लिए चिड़ियाघरों का निर्माण करवाया. इन जगहों पर जानवरों को देखने के लिए लोग अपनी फैमिली के साथ आते हैं और इंटरटेनमेंट के बाद चले जाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिन जानवरों को जंगल में रहने की आदत हो, वो इंसानों के बीच एक पिंजरे में (Life Of Animals In Zoo) कैसी जिंदगी बिताते होंगे? चड़ियाघर में जानवरों की हालत वैसे ही बुरी होती है, ऊपर से अगर उन्हें वहां खाने-पीने को भी ना दिया जाए, तो बेचारे कैसे रह पाएंगे. ऐसे ही एक ब्रिटिश ज़ू (British Zoo) की तस्वीरें सामने आई हैं. इस चिड़ियाघर को दुनिया का सबसे उदास ज़ू माना जाता है.
ब्रिटिश वेलफेयर ग्रुप्स (British Welfare Zoo) सालों से इस चिड़ियाघर को बंद करवाने की कोशिश में लगे हुए हैं. यहां रहने वाले जानवरों की हालत के आधार पर इसे साल्वेशन पार्क नाम दिया गया है. यहां रहने वाले एक भालू की हालत ने लोगों का ध्यान खींचा था. इस अंधे भालू को बीते तीस साल से एक पिंजरे में बंद रखा गया है. ये भालू देख नहीं सकता. ऐसे में इतने लंबे पिंजरे में बंद इस जानवर की हालत ने सबको हैरान कर दिया.
बुरे हालात में रहने को मजबूर हैं बेजुबान
अर्मेनिया में स्थित इस चिड़ियाघर के इंस्पेक्शन के लिए अधिकारियों ने यहां का दौरा किया. तब यहां रहने वाले दर्जनों बेजुबानों की हालत लोगों एक सामने आई. इनमें शेर से लेकर बंदरों को बदतर हालात में देखा गया. इस चिड़ियाघर के मालिक का कहना है कि यहां रहने वाले जानवरों को हन्टर्स और ट्रैफिकर्स से बचाया गया था. लेकिन यूके चैरिटी ने इन जानवरों के बारे में रिपोर्ट दी है कि अभी तक मिले सारे जानवरों में इनकी सबसे खराब हालत थी.
सरकार पर बढ़ रहा है दवाब
जबसे इस चिड़ियाघर के जानवरों के हालात सामने आए है, तबसे आर्मेनियन सरकार पर इसे बंद करने के लिए प्रेशर है. इस चिड़ियाघर में एक अंधा भालू है, जिसका नाम नेल्सन है. उसे तीस साल से पिंजरे में बंद रखा गया है. साथ ही सीए दांत सड़े हुए है और आंखों सर्जरी से वापस लाइ जा सकती है. लेकिन इस और किसी ने ध्यान नहीं दिया है. वहीं चिड़ियाघर में रहने वाली 13 साल की शेरनी सारा भी बीते सात साल से यहां नर्क भोग रही है. कई कई बार तो यहां तीन चार दिनों तक जानवर को खाना नहीं दिया जाता. ऐसे में इन्हें वापस जंगल में छोड़ देने और जू को क्लोज करने का प्रेशर बढ़ता जा रहा है.