दुनिया का वो प्राचीन शहर, जिसकी रक्षा में जुटी हैं 300 कब्रें, कुछ ऐसी है इसकी कहानी
माली के टिम्बकटू में नौ साल बाद सोमवार को पहली बार एक कमर्शियल फ्लाइट लैंड हुई
माली (Mali) के टिम्बकटू (Timbuktu) में नौ साल बाद सोमवार को पहली बार एक कमर्शियल फ्लाइट (Commercial Flight) लैंड हुई. टिम्बकटू पर जिहादियों ने 2012 में कब्जा जमा लिया था, इसके बाद से यहां पर उड़ानों का संचालन नहीं किया जा रहा था. इस शहर को माली के अन्य क्षेत्रों से स्काई माली (Sky Mali) नाम की स्थानीय एयरलाइन के जरिए जोड़ा गया है. स्काई माली की एक फ्लाइट देश की राजधानी बमाको (Bamako) से केंद्रीय शहर मोपती (Mopti) से होते हुए दो मंत्रियों सहित एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर टिम्बकटू पहुंची. इस फ्लाइट ने 700 किलोमीटर की दूरी को दो घंटे में पूरा किया.
विमान द्वारा जिस दूरी को कवर किया गया, इस दूरी को आम लोग सड़क के जरिए किया करते थे, लेकिन इस दौरान उनपर डाकुओं और जिहादियों के हमले का खतरा बना रहता था. वहीं, अब स्काई माली की फ्लाइट के जरिए ये सफर सुरक्षित हो गया है. स्काई माली (Sky Mali) का स्वामित्व एक अमिराती निवेश फर्म अल सईघ ग्रुप (Al Sayegh Group) के पास है. इस एयरलाइन ने मोपती में स्टॉपओवर के साथ हर हफ्ते दो बामाको-टिम्बकटू उड़ानों (Bamako-Timbuktu flights) की योजना बनाई है. पिछले साल जुलाई में एयरलाइन की स्थापना के बाद से इसने सेनेगल की सीमा पर स्थित कायेस और उत्तरी माली में स्थित गाओ तक फ्लाइट का संचालन किया है.
कट्टरपंथियों ने जमाया टिम्बकटू पर कब्जा
जिहादी आतंकियों के हमले और अंतर जातीय लड़ाई की वजह से उत्तरी माली में कई सालों से उथल-पुथल का माहौल है. जिहादियों ने अपनी पकड़ को देश के दक्षिण हिस्से से लेकर इसके केंद्र तक की हुई है. आतंकी संगठन अल-कायदा (Al-Qaeda) से जुड़े कट्टरपंथी समूहों ने 2012 में टिम्बकटू (Timbuktu) पर कब्जा जमा लिया था. उस समय तक टिम्बकटू की पहचान एक प्राचीन शहर (Ancient city) के रूप में होती थी, जो अपनी कीमती ऐतिहासिक इस्लामी पांडुलिपियों (Historic Islamic manuscripts) के लिए पहचाना जाता था. साथ ही दुनियाभर से विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में इस शहर में घूमने आते थे.
UNESCO की मदद से धरोहरों को फिर से खड़ा करने का हो रहा काम
टिम्बकटू शहर को लेकर माना जाता है, यहां 333 मुस्लिम संतों की कब्रें इस शहर की रक्षा करती हैं और इसलिए इसे यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी दिया गया है. हालांकि, जिहादियों के कब्जे के बाद से हालात बिगड़ गए. आतंकियों ने कई ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान भी पहुंचाया है. इन्हें अब यूनेस्को की मदद से फिर से ठीक किया जा रहा है. दूसरी तरफ, अभी तक पर्यटकों की भीड़ इस प्राचीन शहर की तरफ नहीं आई है, क्योंकि उत्तरी और केंद्रीय माली में अभी भी हिंसा का चक्र जारी है.