आज भी मौजूद है पाकिस्तान में शहीद-ए-आजम भगत सिंह का पुश्तैनी घर, जानिए आखिर कैसी है इसकी हालत

जब-जब भारत की आजादी की बात होती है, तब-तब हर किसी के जहन में शहीद-ए-आजम भगत सिंह का नाम आता है.

Update: 2022-03-23 06:16 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब-जब भारत की आजादी की बात होती है, तब-तब हर किसी के जहन में शहीद-ए-आजम भगत सिंह (Bhagat Singh) का नाम आता है. उन्होंने आजादी के लिए लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. आज ही के दिन 23 मार्च साल 1931 को भगत सिंह (Bhagat Singh Death Anniversary), राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी. इस दिन को शहीद दिवस (Shaheed Diwas) के तौर पर मनाया जाता है. ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी देकर भगत सिंह को हमसे छीन लिया, लेकिन वो आज भी सबके जहन में जिंदा हैं.

भगत सिंह के चाहने वाले ना केवल भारत बल्कि सरहद पार पाकिस्तान में भी हैं. उनका पुश्तैनी घर आज भी पाकिस्तान में मौजूद है. इसी घर में शहीद-ए-आजम का जन्म हुआ था. यहां भगत सिंह ने अपना बचपन बिताया था. ये हवेली पंजाब प्रांत के खटकड़कलां गांव में स्थित है. पुश्तैनी घर खटकड़कलां गांव फगवाड़ा-रोपड़ नेशनल हाईवे पर उपमंडल बंगा से तीन किलोमीटर दूर है.
म्यूजियम के तौर पर विकसित किया गया
पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग ने घर की मरम्मत का काम किया है और इसकी देखरेख भी की जाती है. जब देश का बंटवारा हुआ तो उनकी मां विद्यावती और पिता किशन सिंह यहीं रहने लगे थे. किशन सिंह का यहीं निधन हो गया था और भगत सिंह की मांग ने साल 1975 में दुनिया को अलविदा कह दिया. इस घर को बाद में म्यूजियम के तौर पर विकसित किया गया. घर में पुरानी चारपाई और एक पलंग है. एक कमरे में लकड़ी से बनी दो अलमारी हैं, जबकि खेती किसानी से जुड़ा कुछ सामान भी मौजूद है. वहीं दूसरी कमरे में खाने वाली मेज और कुछ बर्तन रखे हैं.
हेरिटेज साइट घोषित किया गया है
भगत सिंह के घर को हेरिटेज साइट के तौर पर घोषित किया गया है. इसे संरक्षित करके कुछ साल पहले ही पर्यटकों के देखने के लिए खोला गया है. भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन संगठन कई साल से पाकिस्तान में भगत सिंह से जुड़ी यादों को संजोने का काम कर रहा है. ऐसा भी कहा जाता है कि भगत सिंह के दादा ने करीब 124 साल पहले यहां एक आम का पेड़ लगाया था, जो आज भी मौजूद है.


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