फिलीपींस में सहमति से SEX की उम्र थी दुनिया में सबसे कम, अब कानून में किया संशोधन
बच्चों के लिए काम करने वाले संगठन काफी समय से इसमें संशोधन की मांग कर रहे थे.
फिलीपींस ने अपने उस कानून में संशोधन किया है, जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ था और जिसे लेकर राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते (Philippines President Rodrigo Duterte) की आलोचना हो रही थी. राष्ट्रपति दुतेर्ते ने सोमवार को बताया कि सहमति से सेक्स (Sexual Consent) की उम्र से जुड़े कानून में संशोधन किया गया है. अब इस उम्र को बढ़ाकर 16 साल कर दिया गया है. बच्चों के लिए काम करने वाले संगठनों के खुशी जताते हुए कहा है कि इससे बलात्कार (Rape) की घटनाओं में कमी आएगी.
पहले कितनी थी 'सहमति से सेक्स' की उम्र?
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के मुताबिक, नए कानून के तहत 16 साल से कम उम्र के लड़के या लड़की से सेक्स करना गैरकानूनी होगा. दोषी पाए जाने पर अधिकतम 40 साल की जेल हो सकती है. बता दें कि फिलीपींस एक कैथोलिक-बहुसंख्यक देश है. यहां 'सहमति से सेक्स' की उम्र को लेकर बेहद पुराने कानून का पालन किया जाता था. फिलीपींस में सहमति से सेक्स की उम्र दुनिया में सबसे कम थी. वयस्कों यानी एडल्ट्स को 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ 'सहमति' से यौन संबंध बनाने की इजाजत थी.
5 में से एक बच्चा यौन हिंसा का शिकार
बाल संरक्षण विशेषज्ञ मार्गरीटा अर्दिविला (Margarita Ardivilla) ने कहा कि यह कानून हमारे बच्चों के लिए यौन हिंसा से एक बहुत अच्छा सुरक्षात्मक साधन है. उन्होंने कहा, 'वैधानिक बलात्कार को निर्धारित करने के लिए एक स्पष्ट उम्र होना बहुत महत्वपूर्ण है और 1930 के कानून के तहत ये उम्र 12 साल थी जो कुछ ऐसा था जो अनुचित था.' यूनिसेफ और स्थानीय संगठन द्वारा 2015 में किए गए एक अध्ययन में सामने आया था कि 13-17 वर्ष की आयु के पांच बच्चों में से एक ने यौन हिंसा का अनुभव किया था और बलात्कार की शिकार 10 में से 7 बच्चियां थीं.
'कड़ा संदेश देता है कानून में संशोधन'
बाल कानूनी अधिकार और विकास केंद्र के कार्यकारी निदेशक रोवेना लेगास्पी ने कहा कि कानून में संशोधन एक बहुत मजबूत संदेश देता है कि बाल बलात्कार एक जघन्य अपराध है और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी. गौरतलब है कि सहमति से सेक्स की उम्र दुनिया में सबसे कम रखने की वजह से राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते को आलोचना का सामना करना पड़ रहा था. बच्चों के लिए काम करने वाले संगठन काफी समय से इसमें संशोधन की मांग कर रहे थे.