तालिबान का महिलाओ के खिलाफ नया फरमान

UN ने बढ़ाया मदद का हाथ…

Update: 2023-05-06 14:57 GMT

काबुल, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से यह महिलाओं और लड़कियों के लिए विश्व का सबसे दमनकारी देश बन गया है। महिलाओं को यहां उनके मूलभूत अधिकारों तक से वंचित कर दिया गया है, इसलिए वहां पर महिलाओं को आजीविका चलाने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र संघ महिलाओं की मदद करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

अफगान महिलाएं घर से कर सकती हैं यूएन के लिए काम

महिलाओं के काम पर तालिबान के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते संयुक्त राष्ट्र संघ ने अफगान कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों के चलते सभी अफगान कर्मचारी घर से काम करना जारी रखेगें। संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने शुक्रवार को कहा कि हमारी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। इससे पहले, यूएन ने कहा था कि वह अपने कार्यों की समीक्षा करेगा और अफगान कर्मचारी घर से काम करना जारी रखेंगे। यूएन ने कहा हम उपयुक्त कामकाजी तौर-तरीकों पर निर्णय लेने के लिए काम कर रहे हैं।

यूएन में 400 महिलाएं करती हैं काम

संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने न्यूयॉर्क में संवाददाताओं से कहा कि जाहिर है, हमारे सामने एक चुनौती है क्योंकि अफगान लोगों की जरूरतें बहुत अधिक हैं और हम उन जरूरतों को पूरा करने का इरादा रखते हैं, लेकिन इसके साथ ही, वहां पर हमारे संचालन स्पष्ट रूप से बाधित हैं। हक ने कहा कि अफगान लोगों के लिए आगे बहुत कठिन वर्ष हैं। संयुक्त राष्ट्र में 3,300 अफगान कर्मचारी हैं, जिनमें से लगभग 400 महिलाएँ हैं। जबकि देश में लगभग 600 अंतर्राष्ट्रीय कर्मचारी प्रतिबंध से प्रभावित नहीं हैं।

स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में यूएन कर रहा मदद

हक ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहायता कार्य जारी है जहां संयुक्त राष्ट्र अफगान महिलाओं पर प्रतिबंध में कुछ सीमित छूट प्राप्त करने में सक्षम रहा है। हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि संयुक्त राष्ट्र की कुछ एजेंसियां एक अलग दृष्टिकोण ले सकती हैं। हक ने कहा, “मेरा मानना है कि सहायता के प्रावधान के बारे में विभिन्न एजेंसियों के पास अलग-अलग अधिकार हैं और इसलिए उनके पास स्थिति को संभालने के अलग-अलग तरीके हैं।”

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