तालिबान ने गेहूं के निर्यात व व्यापार को निलंबित किया, अनाज की कमी का दिया हवाला

बच्चे कुपोषित हो सकते हैं जिससे उनकी बीमारी, संक्रमण, स्टंटिंग और मृत्यु हो सकती है।

Update: 2022-05-21 04:41 GMT

अफगानिस्तान में जब से तालिबान की सरकार आयी है, तब से पूरा देश बदहाली की ओर जा रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। अफगानिस्तान में सूखे के कारण गेहूँ की फसलें बर्बाद हो गई है। अधिकतर देश खाद्यान्न की कमी का हवाला देते हुए पहले ही गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा चुका है। अब तालिबान भी इस कड़ी में जुड़ गया है। एक स्थानीय मीडिया ने बताया, तालिबान ने गुरुवार को भोजन की कमी से बचने के लिए गेहूं के निर्यात व व्यापार को निलंबित कर दिया।

अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने ट्वीट किया, 'देश के वित्त मंत्रालय ने सभी कस्टम्स को गेहूं को विदेश जाने से अलग करने का निर्देश दिया है। इस कदम का उद्देश्य देश में गेहूं और खाद्य असुरक्षा को रोकना है।'
कम बारिश के कारण फसल प्रभावित
खामा प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में किसान कम बारिश और अपनी कृषि भूमि के बारे में शिकायत कर रहे हैं, जो इस साल सूख रही है।
इसके अलावा, हाल के राजनीतिक विकास के परिणामस्वरूप, अफगान लोग एक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा, रूस द्वारा यूक्रेन में अपना सैन्य अभियान शुरू करने के बाद से खाद्य कीमतों, विशेष रूप से गेहूं में काफी वृद्धि हुई है।
गेहूं के दाम 50 फीसदी तक बढ़
कंधार प्रांत के अलग-अलग हिस्सों में जहां गेहूं के दाम 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं, वहीं दावा किया जा रहा है कि कुछ लोगों ने पाकिस्तान को गेहूं की तस्करी शुरू कर दी है।
खामा प्रेस ने बताया इससे पहले, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) ने बताया था कि जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, 22 मिलियन से अधिक लोग गंभीर भूख का सामना कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भूख और भोजन की कमी ने 97 प्रतिशत अफगान आबादी को प्रभावित किया है।
अफगानिस्तान को अपनी 33 मिलियन आबादी को खिलाने के लिए हर साल छह मिलियन टन से अधिक गेहूं की आवश्यकता होने का अनुमान है।
गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय ऐसे समय आया है जब भारत ने अफगानिस्तान को दवाओं के अलावा मानवीय सहायता के रूप में 50,000 टन गेहूं उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है।
बीते साल अगस्त से अफगान का बुरा हाल
पिछले साल अगस्त में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से अफगानिस्तान गंभीर मानवीय संकट और भोजन की कमी का सामना कर रहा है । टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पर्याप्त भोजन और सही पोषण के बिना, बच्चे कुपोषित हो सकते हैं जिससे उनकी बीमारी, संक्रमण, स्टंटिंग और मृत्यु हो सकती है।

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