तालिबान ने गलती से भेजे ताजिकिस्तान 8 लाख डॉलर, अब रकम लौटने की कर रहा मिन्नते

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तालिबान को हुकूमत चलाने में फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

Update: 2021-12-22 04:43 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan Crisis) पर कब्जा करने के बाद से तालिबान (Taliban) को हुकूमत चलाने में फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है. अब तालिबान को बड़ी चपत भी लग गई है. दरअसल, तालिबान ने सितंबर में गलती से ताजिकिस्तान (Afghan Embassy in Tajikistan) स्थित अपनी एम्बेसी के अकाउंट में 8 लाख डॉलर ट्रांसफर कर दिए थे. गलती का अहसास होने के बाद जब तालिबान से पैसा वापस मांगा, तो वहां से इसे लौटाने से इनकार कर दिया गया. अशरफ गनी (Ashraf Ghani) सरकार के वक्त ताजिकिस्तान में नियुक्त किए गए राजदूत मोहम्मद जहीर अघबर कहा- 'पिछली सरकार ने यह पैसा आने वाले खर्चों और कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए मंजूर किया था.'

ताजिकिस्तान में नियुक्त किए गए राजदूत मोहम्मद जहीर अघबर ने बताया- 'अशरफ गनी सरकार को यह पैसा अफगान एम्बेसी के खाते में भेजना था, लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए और हालात बदल गए. हम तालिबान को पैसा नहीं लौटा सकते, यह पैसा एम्बेसी की जरूरत के हिसाब से खर्च किया गया है. इसका इस्तेमाल ताजिकिस्तान में शरणार्थी बच्चों के स्कूल पर होना था.'
अधिकारियों ने कही ये बात
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एम्बेसी के अकाउंट में 4 लाख डॉलर ही ट्रांसफर किए गए थे. शुरुआत में तो तालिबान ने इस मामले पर कुछ नहीं कहा, लेकिन नवंबर में जब देश के हालात बहुत ज्यादा खराब हो गए, तो इसके बाद रकम वापस मांगने के लिए ताजिकिस्तान से संपर्क किया गया. जब तालिबान ने पैसा लौटाने को कहा तो ताजिक अधिकारियों से साफ तौर पर इससे इनकार कर दिया.
अफगान एम्बेसी ने एक बयान में कहा- 'इन पैसों से एम्बेसी के कर्मचारियों को सैलरी दी जा रही है. पूरा पैसा एम्बेसी और अफगानिस्तान के नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने पर खर्च किया जा रहा है. ताजिकिस्तान सरकार तालिबान की कट्टर विरोधी है और उसे आतंकवादी संगठन मानती है. ऐसे में किसी भी आतंकी संगठन के खाते में पैसे नहीं भेजे जा सकते हैं.'
2022 तक गरीबी रेखा के नीचे जा सकती है 97 फीसदी आबादी
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्‍तान की 97 प्रतिशत आबादी वर्ष 2022 तक गरीबी की रेखा के नीचे जा सकती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश का सकल घरेलू उत्‍पाद भी 13 प्रतिशत कम हो सकता है. संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव कन्नी विग्नाराजा ने कहा कि देश की आधी आबादी को मानवीय सहायता की जरूरत है. इस विश्लेषण से पता चलता है कि अफगानिस्तान आर्थिक मोर्चे पर तेजी से गिरावट की ओर अग्रसर है.
अफगान केंद्रीय बैंक के 10 अरब डॉलर विदेशों में जमा
अफगान केंद्रीय बैंक के 10 अरब डॉलर विदेशों में जमा है. इसे पश्चिमी देशों द्वारा तालिबान पर दबाव बनाने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जा रहा है. अमेरिकी वित्‍त विभाग ने कहा कि वह तालिबान के प्रतिबंधों में ढील नहीं देने जा रहा है. इस बीच, अफगानिस्तान के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र के विशेष दूत डेबोरा लियोन ने चेतावनी दी है कि विदेशों में स्थित अरबों डॉलर की अफगानिस्‍तान की संपत्तियों के लेन-देन पर रोक लाखों और अफगानों को गरीबी और भूख के कगार पर ले जा सकता है.
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