तालिबान सरकार ने भुखमरी से निपटने के लिए शुरू किया एक कार्यक्रम, अब काम के बदले पैसा नहीं खाना देगा

उन्होंने कहा कि आर्थिक बदहाली आतंकवादी संगठनों को पनपने के लिए माहौल दे सकती है.

Update: 2021-10-25 03:49 GMT

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने भुखमरी से निपटने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें मजदूरी में गेहूं दी जाएगी. देश अकाल और भुखमरी के बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है.अफगानिस्तान में भुखमरी से लोगों को बचाने के लिए तालिबान सरकार ने एक नई योजना शुरू की है. इस योजना के तहत मजदूरों को काम के बदले गेहूं दी जाएगी. तालिबान के मुख्य प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि मुख्य शहरों और कस्बों में यह योजना शुरू की जाएगी. काम के बदले अनाज की इस योजना के तहत सिर्फ राजधानी काबुल में 40 हजार पुरुषों को काम दिया जाएगा. प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, "बेरोजगारी से लड़ने के लिए यह एक अहम कदम है." उन्होंने कहा कि मजदूरों को कड़ी मेहनत करनी होगी.

देखें, तालिबान राज में आम जिंदगी अफगानिस्तान एक बेहद बुरी आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है. देश में गरीबी, अकाल और भुखमरी जैसी समस्याएं हैं. बिजली की सप्लाई नहीं है और अर्थव्यवस्था विफल हो रही है. ऐसे में सर्दियां आ रही हैं जो लोगों के लिए काफी मुश्किल हो सकती हैं. दो महीने चलेगी योजना तालिबान की काम के बदले अनाज योजना में मजदूरों को पैसा नहीं दिया जाएगा. इसका मकसद उन लोगों को काम देना है जिनके पास फिलहाल कोई काम नहीं है और सर्दियों में भुखमरी का खतरा झेल रहे हैं. यह योजना दो महीने चलेगी. इस दौरान 11,600 टन गेहूं तो सिर्फ राजधानी काबुल में बांटी जाएगी.
हेरात, जलालाबाद, कंधार, मजार ए शरीफ और पोल ए खोमरी जिलों में 55,000 टन गेहूं बांटी जाएगी. काबुल में मजदूरों को नहरें खोदने और बर्फ के लिए खंदकें बनाने जैसे काम दिए जाएंगे. रविवार को काबुल में जबीउल्लाह मुजाहिद, कृषि मंत्री अब्दुल रहमान और शहर के मेयर हमदुल्लाह नोमानी ने गुलाबी रिबन काटकर इस योजना की शुरुआत की. ढह सकता है अफगानिस्तान तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था. तब से देश के आर्थिक हालात नाजुक बने हुए हैं. शनिवार को पाकिस्तान और स्वीडन ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान कभी भी ढह सकता है. स्वीडन के विकास मंत्री पेर ओलसन फ्रिद ने दुबई में कहा, "देश ढह जाने के कगार पर है और ऐसा हमारी कल्पना से कहीं तेजी से हो सकता है." उन्होंने कहा कि आर्थिक बदहाली आतंकवादी संगठनों को पनपने के लिए माहौल दे सकती है.


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