तालिबान ने अफगानिस्तान में अफीम की खेती पर लगाया बैन, किसानों को दी ये चेतावनी

अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान ने रविवार को अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की.

Update: 2022-04-04 03:59 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) में सत्तारूढ़ तालिबान (Taliban) ने रविवार को अफीम की खेती पर प्रतिबंध (Poppy Production Ban) लगाने की घोषणा की. यहां गौर करने वाली बात ये है कि देशभर के किसानों ने उस लाल फूल की कटाई शुरू कर दी है जिससे हेरोइन बनाने में इस्तेमाल होने वाली अफीम मिलती है. तालिबान द्वारा जारी आदेश में किसानों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे कटाई जारी रखेंगे तो उनकी फसल जला दी जाएगी और उन्हें कैद की सजा तक सुनाई जा सकती है. तालिबान ने अमेरिकी गठबंधन वाली सेनाओं के खिलाफ युद्ध के दौरान इस अफीम के जरिए ही पैसा कमाकर खुद को मैदान में बनाए रखा था.

ये प्रतिबंध 1990 के दशक के तालिबान के पिछले शासन की याद दिलाता है, जब अफगानिस्तान में अफीम की खेती को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था. तालिबान ने तब यह प्रतिबंध दो साल के भीतर पूरे मुल्क में लागू कर दिया था. संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में अफीम की खेती पूरी तरह से बंद होने पुष्टि की थी. हालांकि, 2001 में अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत खत्म होने के बाद मुल्क के कई हिस्सों में किसानों ने कथित तौर पर अपने गेहूं के खेतों की जुताई करते हुए वहां अफीम की फसल की बुवाई कर दी थी. दरअसल, सड़कों और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण किसानों के लिए गेहूं को बाजार तक ले जाना लगभग नामुमकिन था.
दुनिया का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक देश है अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में अफीम की खेती किसानों और दिहाड़ी मजदूरों के लिए आय का मुख्य स्रोत है, जो इसके जरिये प्रति माह औसतन 300 डॉलर तक की कमाई कर लेते हैं. मादक पदार्थ और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के कार्यालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक देश है और 2021 में तालिबान के कब्जे से पहले मुल्क में अफीम उत्पादन 6,000 टन था, जिससे संभवत: 320 टन हेरोइन तैयार की जा सकती है. वहीं, इस बैन की वजह से उन गरीब किसानों की मुसीबत और अधिक बढ़ने वाली है, जो अफीम पर पूरी तरह से निर्भर हैं और ये उनकी कमाई का जरिया है.
अमेरिका ने अफीम उत्पादन खत्म करने के लिए खर्च किए आठ बिलियन डॉलर
तालिबान ने 20 सालों तक चले युद्ध के दौरान किसानों और बिचौलियों को अफगानिस्तान से बाहर ड्रग्स ले जाने पर टैक्स लगाया. इसके जरिए उसने लाखों डॉलर की कमाई की. अमेरिका समर्थित सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कथित तौर पर फलते-फूलते नशीली दवाओं के व्यापार से लाखों डॉलर की कमाई की. अमेरिका ने लगभग 20 साल के युद्ध के दौरान अफगानिस्तान में अफीम उत्पादन को खत्म करने की कोशिश में आठ बिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए. लेकिन अमेरिका को इसमें सफलता नहीं मिली, क्योंकि तालिबान ने पिछले साल एक बार फिर देश पर कब्जा कर लिया. अफगान अफीम से उत्पादित लगभग 80 फीसदी हेरोइन मध्य एशिया और पाकिस्तान के रास्ते यूरोप पहुंचती है.
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