ताइवान को आशंका है कि यूक्रेन क्राइसिस के बीच पश्चिमी देशों के व्यस्त होने का चीन फायदा उठा सका है, लेकिन हाल के दिनों में चीन की सेनाओं के द्वारा कोई असामान्य हरकत या युद्धाभ्यास नहीं किया है। ताइपेई के अधिकारियों ने बुधवार को यह बात कही। ताइवान की सरकार चीन की उकसावे की हरकतों को लेकर हमेशा अलर्ट रहती है। चीन, ताइवान का अपना इलाका मानता रहा है और पिछले दो साल के दौरान स्वशासित आइलैंड के आसपास कई सैन्य गतिविधि कर चुका है। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने बुधवार को नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के एक वर्किंग ग्रुप की मीटिंग में बताया कि ताइवान को क्षेत्र में अपनी निगरानी और अलर्टनेस बढ़ानी चाहिए और विदेशी दुष्प्रचार का सामना करना चाहिए। हालांकि, उन्होंने सीधे चीन का नाम नहीं लिया।
ताइवान की सरकार ने कहा कि आइलैंड की स्थिति और यूक्रेन की स्थिति बुनियादी रूप से अलग है। त्साई ने यूक्रेन के साथ अपनी "सहानुभूति" जाहिर की, क्योंकि आइलैंड को भी इसी तरह की चुनौती का सामना करना पड़ता है। ताइवान के विदेश मंत्री जोसफ वू ने इस महीने विदेशी मीडिया को दिए दो इंटरव्यू में आगाह किया, वे इस बात पर पैनी नजर रखे हुए हैं कि क्या यूक्रेन क्राइसिस का फायदा उठाते हुए चीन हमला कर सकता है। उन्होंने ब्रिटेन के आईटीवी न्यूज से बातचीत में कहा, "चीन किसी भी समय ताइवान पर हमले पर विचार कर सकता है और हमें इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।" सरकार की सुरक्षा योजना की जानकारी रखने वाले ताइवान के वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि सैन्य तनाव अचानक बढ़ने की संभावनाएं "बहुत ज्यादा नहीं" हैं, लेकिन ताइपेई किसी भी तरह की असामान्य गतिविधि के लिए चीन पर नजर बनाए हुए है। उन्होंने ताइवान के नॉर्थईस्ट और जापान के दक्षिणी आइलैंड के पास मियाको स्ट्रेट के बीच के इलाकों में पीपल्स लिबरेशन आर्मी की ज्वाइंट मिलिट्री ड्रिल्स की ओर संकेत किए, जो पिछले महीने तक खासी ज्यादा हुई थीं। अधिकारियों ने कहा कि इन ड्रिल्स में फाइटर जेट्स, बॉम्बर्स और वारशिप्स भी शामिल थे और इनका उद्देश्य जापान पर दबाव बनाना था। जापान की डिफेंस एजेंसी के एक स्पोक्सपर्स ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।