चीन में अचानक तलाक के केस बढे , नए कानून का है असर
चीन में नए तलाक कानून की भनक लगते ही वहां पर अचानक संबंध विच्छेद के मामले बढ़ गए हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | चीन में नए तलाक कानून की भनक लगते ही वहां पर अचानक संबंध विच्छेद के मामले बढ़ गए हैं। यह कानून जनवरी से लागू हुआ है। नए कानून में पति-पत्नी के लिए तलाक लेना मुश्किल हो गया है। 2020 में कोरोना संक्रमण काल में चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में नए कानून पर चर्चा शुरू हुई तो उसके प्रावधान सार्वजनिक हुए। अलग होने के संभावित नए प्रावधानों को मुश्किल मानते हुए उन तमाम जोड़ों ने खुद के अलग होने के लिए संबंधित कार्यालय में याचिका दायर कर दीं, जिनके संबंध कटुतापूर्ण चल रहे थे। उन्होंने संबंधों में सुधार के लिए समय देने की जरूरत नहीं समझी। उन्होंने माना कि अगर अलगाव की प्रक्रिया शुरू करने को टाला गया तो नए कानून के प्रावधान तलाक को मुश्किल बना देंगे।
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस का पारित कानून जनवरी से लागू हो गया है। इसकी व्यापक पैमाने पर निंदा भी हुई है। इसके तहत अगर पति-पत्नी आपसी रजामंदी से भी रिश्ता खत्म करना चाहते हैं तो उन्हें प्रारंभिक अर्जी देने के बाद एक महीने का कूलिंग पीरियड गुजारना होगा। इसमें वे अलग रहकर अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकेंगे। अगर अलग होने का उनका फैसला नहीं बदला तो उन्हें नागरिक मामलों के कार्यालय में जाकर तलाक की अर्जी दोबारा दाखिल करनी होगी। इसके बाद उनके संबंध विच्छेद पर फैसला लिया जाएगा।
यह कानून लागू होने से पहले चीन के बड़े शहर ग्वांग्झू में वकीलों के पास तलाक संबंधी सलाह लेने वालों की संख्या एकाएक बहुत बढ़ गई। वकीलों को मुलाकात के लिए ऑनलाइन समय लेने की व्यवस्था बनानी पड़ी। इसके बाद निर्धारित समय पर लोगों ने तलाक की अर्जी का तरीका वकीलों से जाना। सिचुआन प्रांत के तलाक संबंधी मामलों के विशेषज्ञ वकील जोंग वेन के अनुसार तलाक लेने पर विचार कर रहे तमाम जोड़ों में नए कानून से खासा डर पैदा हुआ। उनमें से तमाम ने फोन और ऑनलाइन सवालों की झड़ी लगा दी। इसी के चलते बीते दिनों में तलाक लेने की अर्जियों की संख्या खासी बढ़ी।