स्टडी: मंगल की धूल भरी जमीन के ठीक नीचे ही जीवन के पनपने की संभावना
NASA का परसिवरेंस रोवर मंगल ग्रह की सतह पर प्राचीन जीवन की तलाश में जुटा हुआ है
NASA का परसिवरेंस रोवर (Perseverance Rover) मंगल ग्रह (Mars) की सतह पर प्राचीन जीवन (Ancient Life) की तलाश में जुटा हुआ है. लेकिन एक नई स्टडी में बताया गया है कि मंगल की धूल भरी जमीन के ठीक नीचे ही जीवन के पनपने की संभावना है. ब्राउन यूनिवर्सिटी (Brown University) की एक टीम ने मंगल की सतह से बाहर निकलकर धरती पर पहुंचने वाली एक चट्टान (Mars Rock) की जांच की है. ये चट्टान लाल ग्रह के बारे में स्पष्ट जानकारी देता है.
टीम ने पाया कि ये चट्टान अगर लगातार पानी के संपर्क में आती है तो ये एक केमिकल एनर्जी पैदा करेगी. ये केमिकल एनर्जी सूक्ष्मजीवों को जिंदा रहने में मदद करेगी. धरती की गहराई में रहने वाले सूक्ष्मजीव समुदाय भी ऐसे ही जिंदा रहते हैं. इस रिएक्शन को रेडियोलिसिस कहते हैं. ये तब होता है, जब चट्टानों में मौजूद रेडियोएक्टिव तत्व पानी के हाइड्रोजन और ऑक्सीजन एटम्स को तोड़ देते हैं. इसका इस्तेमाल सूक्ष्मजीव एनर्जी के तौर पर करते हैं. मंगल से आया उल्कापिंड लाल ग्रह की सतह को दर्शाता है. ऐसे में इन नतीजों से पता चलता है कि ग्रह के अधिकांश हिस्से निवास के योग्य हो सकते हैं.
इस स्टडी का नेतृत्व करने वाले रिसर्चर ने जीवन को लेकर कही ये बात
NASA के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में पोस्टडोक्टोरल रिसर्चर और इस स्टडी का नेतृत्व करने वाले जेसी तारनाश ने कहा कि मंगल की सतह पर जांच करने का सबसे बड़ा निहितार्थ यह है कि जहां भी ग्रह पर जमीन के भीतर पानी मौजूद होगा. वहां इस बात की संभावना जगती है कि आपके पास पर्याप्त केमिकल एनर्जी है, जो सूक्ष्मजीवों को पनपने में मदद कर सकती है. उन्होंने कहा कि हमें नहीं मालूम है कि क्या कभी मंगल की सतह के नीचे जीवन की शुरुआत हुई होगी. लेकिन अगर ऐसा हुआ होगा तो हमें लगता है कि ग्रह पर इतनी एनर्जी जरूर मौजूद है, जो उसे आज तक बरकरार रखे हुए हो.
मंगल पर पानी की मौजूदगी को लेकर क्या है स्थिति?
अभी तक व्यापक रूप से यही माना जा रहा है कि मंगल की सतह पर पर्याप्त मात्रा में पानी मौजूद है. हालांकि, सतह पर तापमान बेहद ही ठंडा है, ऐसे में ये पानी बर्फ के रूप में मौजूद है. लाल ग्रह पर जीवन की मौजूदगी के लिए वैज्ञानिकों का मानना है कि पानी का तरल अवस्था में होना बेहद जरूरी है. जब से मानव जाति टेक्नोलॉजी के जरिए मंगल को विस्तार से देखने में सक्षम हो पाई है, तब से मानव लाल ग्रह पर पानी होने के संकेत खोज रहा है. अभी तक ये मानकर चला जा रहा है कि मंगल के ध्रुवों पर पानी की मौजूदगी है.