खाने के लाले पड़े फिर भी मिसाइल परीक्षण की सनक से बाज नहीं आ रहा Kim Jong-un, बढ़ाई दुनिया की टेंशन

उत्तर कोरिया की आर्थिक सेहत खराब है. खाने के भी लाले पड़े हुए हैं, इसके बावजूद भी वो मिसाइल परीक्षण की सनक से बाज नहीं आ रहा है.

Update: 2021-09-13 02:41 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तर कोरिया (North Korea) की आर्थिक सेहत खराब है. खाने के भी लाले पड़े हुए हैं, इसके बावजूद भी वो मिसाइल परीक्षण (Missile Test) की सनक से बाज नहीं आ रहा है. दुनिया के लिए खतरा बने उत्तर कोरिया ने अब लंबी दूरी की नई तरह की क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong-un) के नेतृत्व में उत्तर कोरिया ने पिछली बार क्रूज मिसाइल का परीक्षण जनवरी में किया था, जब जो बाइडेन (Joe Biden) ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी.

1500 KM दूर था टारगेट
उत्तर कोरिया (North Korea) मीडिया के हवाले से बताया है कि शनिवार और रविवार को दो मिसाइलों को लॉन्च किया गया, जो 1500 किलोमीटर (930 मील) की दूरी पर स्थित लक्ष्य भेदने में सफल रहीं. तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong-un) के इस कदम से दुनिया की टेंशन बढ़ना तय है. उत्तर कोरिया ने ये परीक्षण ऐसे समय किया है जब अफगानिस्‍तान में तालिबान की वापसी हुई है और अमेरिका को वहां से बैरंग लौटना पड़ा है.
दवाब की रणनीति है Test
उत्तर कोरिया अपनी बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र परमाणु एजेंसी ने कहा था कि ऐसा लगता है कि उत्तर कोरिया ने एटॉमिक ईंधन का उत्पादन करने के लिए अपने मुख्य परमाणु रिएक्टर का संचालन दोबारा शुरू कर दिया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि मिसाइलों का परीक्षण करना उत्‍तर कोरिया की एक सोची समझी रणनीति है. वह खुद पर लगे अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंधों को खत्‍म करने के लिहाज से अमेरिका पर दबाव बना रहा है.
अच्छी नहीं है आर्थिक सेहत
यहां गौर करने वाली बात ये है कि उत्तर कोरिया गंभीर आर्थिक और खाद्य संकट से गुजर रहा है. वहां लोगों के लिए पेट भरना भी मुश्किल हो गया है. इसके बावजूद तानाशाह किम जोंग उन मिसाइल परीक्षण पर पैसा खर्च करने में लगे हैं. कुछ वक्त पहले खुद तानाशाह ने चेतावनी दी थी कि हालात खराब होते जा रहे हैं. जून में आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में खाने-पीने की वस्तुओं के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं. डिमांड के मुकाबले सप्लाई कम होने की वजह से हालात बिगड़ रहे हैं.


Tags:    

Similar News

-->