श्रीलंकाई सरकार ने कहा- राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे किसी भी हाल में नहीं देंगे इस्तीफा...मध्यावधि चुनाव की सुगबुगाहटें
मध्यावधि चुनाव की सुगबुगाहटें
कोलंबो, पीटीआइ। श्रीलंकाई सरकार ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे किसी भी हाल में इस्तीफा नहीं देंगे। वह मौजूदा मुद्दों का सामना करेंगे। सरकार ने आपातकाल लगाने संबंधी राजपक्षे के फैसले का बचाव भी किया, जिसे गत दिवस वापस ले लिया गया है। गोटाबाया ने देश के भीषण आर्थिक संकट को लेकर हुए व्यापक विरोध-प्रदर्शनों और अपने इस्तीफे की मांग के चलते एक अप्रैल को देश में आपातकाल लागू कर दिया था। इस बीच भारत सरकार ने श्रीलंका को फिर मदद भेजी है।
भारत ने भेजी ईंधन की खेप
इस बीच श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने बताया कि बीते 24 घंटों में श्रीलंका को 36 हजार मीट्रिक टन पेट्रोल और 40 हजार मीट्रिक टन डीजल की खेप पहुंचाई गई हैं। अब तक भारत की ओर से विभिन्न प्रकार के ईंधन की कुल 270,000 मीट्रिक टन से ज्यादा की आपूर्ति की जा चुकी है।
राष्ट्रपति नहीं देंगे इस्तीफा
संसद को संबोधित करते हुए सरकार के मुख्य सचेतक मंत्री जानसन फनरंडो ने कहा कि सरकार इस समस्या का सामना करेगी। राष्ट्रपति के इस्तीफे का कोई कारण नहीं है, क्योंकि उन्हें इस पद के लिए चुना गया था। फनरंडो ने दावा किया कि देश में जारी हिंसा में विपक्षी जनता विमुक्ति पेरामुनावास (जेवीपी) पार्टी का हाथ है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घातक राजनीति की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। लोगों को हिंसा खत्म कर संकट से निपटने में सरकार की मदद करनी चाहिए।
मुद्दों से निपटने के लिए सरकार करती रहेगी काम
कोलंबो पेज नामक वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, फर्नाडो ने कहा कि सरकार इन मुद्दों से निपटने के लिए काम करती रहेगी। सरकार का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय व अन्य सार्वजनिक संपत्ति पर हमले के प्रयास के बाद आपातकाल घोषित किया गया था।
मध्यावधि चुनाव कराने की मांग
इससे पूर्व वरिष्ठ वामपंथी नेता वासुदेव ननायक्कारा ने कहा कि देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट से पैदा हुई राजनीतिक उथल-पुथल को मध्यावधि चुनाव करा खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह सरकार आगे नहीं चल सकती। कम से कम छह महीने के लिए एक ऐसी सरकार का गठन होना चाहिए, जिसमें सबका प्रतिनिधित्व हो। इसके बाद चुनाव होने चाहिए।'
विपक्षी खेमे का हाथ होने से इनकार
हालांकि, उन्होंने विपक्षी खेमे से हाथ मिलाने से इन्कार कर दिया। डेमोक्रेटिक लेफ्ट फ्रंट के नेता ननायक्कारा उन 42 सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने सतारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन से खुद को अलग करने की घोषणा की है।
42 सांसदों ने छोड़ा सरकार का साथ
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका इन दिनों भीषण आर्थिक व राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। महंगाई और आवश्यक सामग्री की किल्लत के कारण लोग जहां सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं एसएलपीपी गठबंधन सरकार से 42 सांसद नाता तोड़ चुके हैं। इसके साथ ही सरकार अल्पमत में आ चुकी है। राष्ट्रपति गोटाबाया ने सोमवार को अपने भाई बासिल राजपक्षे को हटाकर राजनीतिक संकट दूर करने की कोशिश भी की, लेकिन उनकी जगह लेने वाले नए वित्त मंत्री अली साबरी ने 24 घंटे के भीतर ही इस्तीफा दे दिया।
भारत हमारा बड़ा भाई, पीएम मोदी ने दिखाई उदारता : रणतुंगा
एएनआइ के अनुसार, श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर व मंत्री अर्जुन रणतुंगा ने देश में जारी आर्थिक संकट के दौरान मदद के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने मीडिया से कहा, 'जाफना अतंरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को शुरू करने के लिए मदद देने में पीएम मोदी ने उदारता दिखाई। भारत हमारे के लिए बड़े भाई के समान है।'
हमारी जरूरतों पर नजर रख रहा भारत
रणतुंगा ने कहा- मुझे खुशी है कि वे श्रीलंका की आर्थिक मदद के साथ-साथ देश की स्थितियों की भी निगरानी कर रहे हैं। वे हमारी पेट्रोल व दवा जैसी जरूरतों पर नजर रख रहे हैं। यकीनन आगामी कुछ महीनों में इनकी भारी किल्लत होने वाली है। भारत हमारी बड़े पैमाने पर मदद कर रहा है।' उन्होंने कहा, 'मैं खून बहता नहीं देखना चाहता। डर है कि लोग एक और युद्ध की शुरुआत न कर दें, जिससे देश वर्षो तक पीडि़त रहा है।'