आर्थिक संकट का सामना कर रहा श्रीलंका, आजादी के बाद से सबसे बुरे हुए हालात
आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में सेना के साये में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) बिक रहा है. तेल की कमी के चलते पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं.
आर्थिक संकट (Economic Crisis) का सामना कर रहे श्रीलंका (Sri Lanka) में सेना के साये में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) बिक रहा है. तेल की कमी के चलते पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं. ऐसे में भीड़ कोई हिंसक कदम न उठाए, इसे ध्यान में रखते हुए सेना के जवानों को यहां तैनात किया गया है. श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार काफी घट गया है. इस वजह से पेट्रोल-डीजल का आयात मुश्किल हो रहा है. महंगाई ने भी यहां सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
भारत-चीन से मांगी आर्थिक मदद
श्रीलंका में अनाज, चीनी, सब्जियों से लेकर दवाओं की भी भारी कमी हो गई है. महंगाई (Inflation) की वजह से लोगों का खर्चा चार गुना तक बढ़ गया है, लेकिन उनकी आमदनी उतनी ही है. सरकार को इस वक्त अनाज, तेल और दवाओं की खरीद के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है. भारत (India) ने एक अरब डॉलर का कर्ज देने का वादा किया है और चीन (China) भी श्रीलंका को ढाई अरब डॉलर का कर्ज दे सकता है. बता दें कि 1948 में आजाद होने के बाद श्रीलंका सबसे भयावह आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.
सेना की तैनाती पर ये बोले ऊर्जा मंत्री
श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल के लिए लंबी लाइनों को देखते हुए मंगलवार को सरकारी पेट्रोल पंपों पर सैनिकों को तैनात कर दिया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ऊर्जा मंत्री गामिनी लुकोगे ने का कहना है कि पेट्रोल पंपों पर कोई अप्रिय स्थिति पैदा न हो इसलिए सेना को यहां तैनात करने का फैसला लिया गया है. लोग बड़े कैन में पेट्रोल ले जाकर बिजनेस कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि पेट्रोल सबको मिले'.
रसोई गैस के लिए भी लंबी लाइनें
केवल पेट्रोल ही नहीं रसोई गैस के लिए भी लंबी लाइनें लग रही हैं. पेट्रोल और केरोसिन के लिए लाइनों में खड़े चार लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें से तीन बुजुर्ग थे. एक शख्स की मौत लाइन में लगे लोगों के बीच झगड़े के दौरान चाकूबाजी की वजह से हुई थी. इसके अलावा, श्रीलंका को भारी बिजली संकट का भी सामना करना पड़ रहा है. मार्च की शुरुआत में सरकार ने अधिकतम साढ़े सात घंटे तक की बिजली कटौती का ऐलान किया था.
ऐसे बिगड़ती गई आर्थिक सेहत
श्रीलंका के केंद्रीय बैंक की ओर से फरवरी में जारी आंकड़ों के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी 2022 में 24.8 फीसदी घट कर 2.36 अरब डॉलर रह गया था. रूस-यूक्रेन में छिड़ी जंग से भी श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था की हालत बदतर हो सकती है. क्योंकि रूस श्रीलंका की चाय का सबसे बड़ा आयातक है. अब सवाल यहां ये उठता है कि आखिर श्रीलंका इस स्थिति में पहुंचा कैसे? श्रीलंका की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन उद्योग पर निर्भर है. देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी है करीब दस फीसदी है. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से श्रीलंका में पर्यटकों का आना बिल्कुल बंद हो गया और देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम होता गया. इस वजह से कनाडा जैसे कई देशों ने फिलहाल श्रीलंका में निवेश बंद कर दिया है.
सरकार के गलत फैसले भी दोषी
कोविड से हुए नुकसान के साथ ही श्रीलंका की सरकार ने कुछ ऐसी गलतियां की, जिससे इसकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो गई. उदाहरण के तौर पर, 2019 में नवनिर्वाचित सरकार ने लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ाने के लिए टैक्स कम कर दिया. इससे सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हुआ. देश में केमिकल फर्टिलाइजर से खेती बंद करने के आदेश का भी घातक असर हुआ. विशेषज्ञों के मुताबिक इससे फसल उत्पादन में खासी गिरावट आई है. इसके अलावा, श्रीलंका की खराब आर्थिक स्थिति की वजह इस पर बढ़ता कर्ज भी है. अकेले चीन से ही श्रीलंका ने 5 अरब डॉलर का कर्ज लिया है. भारत और जापान का भी इस पर काफी कर्ज है.
इस साल चुकाना है इतना कर्ज
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में श्रीलंका को सात अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है. मौजूदा हालात को देखते हुए श्रीलंका के डिफॉल्ट होने का खतरा काफी ज्यादा है. सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी बेलआउट पैकेज की गुहार लगाई है. यदि उसकी ये गुहार पूरी नहीं होती, स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाएगी. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि एशियाई देशों में सबसे ज्यादा महंगाई श्रीलंका में बढ़ी है. फरवरी 2021 की तुलना में फरवरी 2022 में खुदरा महंगाई 15.1 फीसदी बढ़ गई.