चीन में उइगर के मुद्दे पर तालिबान में फूट
चीन में उइगर तथा अन्य मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान में फूट स्पष्ट रूप से दिखने लगी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन (China) में उइगर (Uyghur) तथा अन्य मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान में फूट स्पष्ट रूप से दिखने लगी है। एक पक्ष जहां चीन का विश्वास जीतने का पक्षधर है, वहीं दूसरा पक्ष शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में उइगर तथा अन्य मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर चीन के खिलाफ जिहाद छेड़ने की बात पर बल देता है।
तालिबानियों में पिछले महीने चीन द्वारा कुरान एप प्रतिबंधित किए जाने से भी काफी गुस्सा है। इराकी वेबसाइट अल्माशरेक डाट काम के मुताबिक चीन का विरोध करने वाले तालिबानी इस्लामिक स्टेट- खुरासान [आइएस-के] में शामिल हो चुके हैं, ताकि मुसलमानों को चीन के उत्पीड़न से मुक्ति दिलाई जा सके।
चीन के संसाधन बहुल शिंजियांग की करीब 80 किलोमीटर लंबी सीमा अफगानिस्तान से सटी है। यहां उइगर मुसलमानों का समुदाय है। जुलाई में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच चीन को चिंता सता रही थी कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) का केंद्र बन जाएगा। लेकिन तालिबान ने चीन की इन चिंताओं को दूर कर दिया तालिबान (Taliban) के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि वे चीन को अफगानिस्तान के एक मित्र के रूप में देखते हैं और तालिबान चीन के उइगर समुदाय के लोगों को देश में एंट्री की इजाजत नहीं देगा। वहीं इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासन ने चीन को उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के खिलाफ चेतावनी दी है। IS-K का आरोप है कि चीन द्वारा अफगानिस्तान से उइगरों को वापस डिपोर्ट करने को लेकर तालिबान सरकार पर दबाव बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि उइगर चीनी शिनजियांग क्षेत्र के मूल निवासी हैं। उइगर समुदाय के लोग सालों से चीन से आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं। कई उइगर लड़ाके चीन पर हमला करने के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करते रहे हैं। ऐसे में इस्लामिक स्टेट उइगर लोगों का इस्तेमाल कर एक साथ तालिबान और चीन को टारगेट कर रहा है।