चांद-मंगल की यात्रा पर कपड़े धोने की टेंशन से निपटने के लिए बन रहा खास तरह का साबुन

चंद्रमा से लेकर मंगल ग्रह तक उड़ान भरने की तैयारी में लगे अंतरिक्षयात्रियों की एक बड़ी मुश्किल हल होने जा रही है

Update: 2021-06-23 09:48 GMT

चंद्रमा से लेकर मंगल ग्रह तक उड़ान भरने की तैयारी में लगे अंतरिक्षयात्रियों की एक बड़ी मुश्किल हल होने जा रही है। अंतरिक्षयात्रियों को अब कपड़े गंदे होने की टेंशन नहीं रहेगी। दरअसल, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अंतरिक्ष में कपड़े साफ करने के लिए दुनिया का पहला साबुन बनाने जा रही है। इसके लिए नासा ने कपड़ा धोने का साबुन बनाने वाली दिग्‍गज कंपनी टाइड के साथ हाथ मिलाया है। नासा और टाइड के बीच हुए समझौते में कहा गया है कि स्‍पेस एजेंसी अगले साल टाइड के कपड़े की सफाई के साबुन को परीक्षण के लिए अंतरिक्ष में ले जाएगी। आइए जानते हैं क्‍या है नासा का 'मिशन साबुन' और कैसे वह इसे बना रही है....

​चांद से मंगल ग्रह तक की यात्रा में होगी आसानी
अंतर‍राष्‍ट्रीय स्‍पेस स्‍टेशन के कार्यकारी मुख्‍य वैज्ञानिक डॉक्‍टर माइकल रॉबर्ट ने कहा कि प्राइवेट सेक्‍टर स्‍पेस स्‍टेशन का सही इस्‍तेमाल करते हुए ऐसे प्रॉडक्‍ट तरीकों का परीक्षण स्‍पेस में कर सकता है जो धरती पर संभव नहीं है। इससे उनके वर्तमान प्रॉडक्‍ट की गुणवत्‍ता बढ़ेगी और जमीन तथा धरती के निचली कक्षा में काम करने के बिजनस मॉडल को समझा जा सकेगा। वर्तमान समय में अंतरिक्षयात्रियों के कपड़ों को धरती पर वापस भेजना पड़ता है जहां उसे नष्‍ट कर दिया जाता है। अंतरिक्ष में सामान भेजने की सीमा की वजह से अंतरिक्षयात्रियों को साफ कपड़े मुहैया कराना हमेशा से ही चुनौतीभरा रहा है। वहीं अगर चांद या मंगल तक की यात्रा करनी होगी तो अंतरिक्षयात्रियों को धरती से साफ कपड़े भेजना संभव नहीं रहेगा। उदाहरण के लिए मंगल ग्रह की यात्रा में तो करीब दो से तीन साल लग सकते हैं। अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो भविष्‍य के अंतरिक्ष मिशन की दिशा में एक बड़ी कामयाबी होगा।
​प्रत्‍येक अंतरिक्षयात्री के लिए 73 किलो कपड़ा
मंगल की यात्रा के दौरान पानी की कमी एक और बड़ी चुनौती रहेगी। यही नहीं जिन चीजों से अंतरिक्षयात्रियों के कपड़े की सफाई होगी, उनका सुरक्षित होना जरूरी है ताकि उसको साफ करके अंतरिक्षयात्री अपनी यात्रा के दौरान पी सकें। ऐसे में नासा अब अंतरिक्ष में ही कपड़ों की सफाई के मिशन पर लगना चाहती है। इन्‍हीं चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष स्‍टेशन में एक ही कपड़ा कई बार पहनते हैं। इसके बाद वे उसे बदलते हैं। इसकी वजह से उनका कपड़ा दुर्गंध मारने लगता है या गंदा हो जाता है। हर साल नासा प्रत्‍येक अंतरिक्षयात्री के लिए करीब 73 किलो कपड़ा अंतरिक्ष स्‍टेशन भेजती है। इसे भेजने में काफी खर्च करना पड़ता है। नासा अनुमान है कि अगर टाइड या अन्‍य कंपनियां साबुन बनाने में कामयाब हो जाती हैं तो अंतरिक्षयात्रियों के इस्‍तेमाल किए हुए कपड़े को नष्‍ट करने की बजाय उसे धुला जा सकेगा और नासा को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
​दाग-धब्‍बे होंगे दूर, पी सकेंगे बचा हुआ पानी
उधर, टाइड ने कहा है कि उसका अंतरिक्ष में इस्‍तेमाल किए लिए बना साबुन पूरी तरह से नष्‍ट होने योग्‍य है। इसलिए यह दुर्गंध और दाग-धब्‍बों को दूर कर सकता है। यही नहीं इस सफाई के बाद बचे पानी को फिर से साफ करके पीया जा सकता है। अगले साल स्‍पेस स्‍टेशन भेजे जाने वाले सामान के साथ टाइड की टीम यह जांच करेगी कि साफ करने वाले तत्‍व अंतरिक्ष में शून्‍य गुरुत्‍वाकर्षण और सूरज की किरणों के विकिरण के बीच कितना अच्‍छे तरीक से काम करते हैं। टाइड के धब्‍बे साफ करने वाले साबुन को स्‍पेस स्‍टेशन भेजा जाएगा। नासा और टाइड ने यह भी कहा कि वे पता लगाएंगे कि क्‍या चंद्रमा और मंगल मिशन के लिए यह तकनीक कारगर रहेगी या नहीं। टाइड ने कहा कि इससे आगे चलकर धरती पर भी सुरक्षित साबुन बनाने में मदद मिलेगी जिससे पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा।
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