दक्षिण कोरिया : राष्ट्रपति चुनाव में गंजापन बना चुनावी मुद्दा

दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ली जाए-म्युंग गंजे नहीं हैं लेकिन उन्हें गंजे मतदाताओं का खूब समर्थन मिल रहा है.

Update: 2022-01-07 05:26 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ली जाए-म्युंग गंजे नहीं हैं लेकिन उन्हें गंजे मतदाताओं का खूब समर्थन मिल रहा है. ऐसा उनकी एक मांग के कारण हो रहा है.दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे ली जाए-म्युंग को देश के ऐसे मतदाताओं का खूब समर्थन मिल रहा है जिनके सिर पर बाल कम हैं. ली ने सरकार से मांग की है कि सरकार बाल झड़ने का इलाज करवाने के लिए लोगों की आर्थिक मदद करे. इसी हफ्ते की शुरुआत में ली ने यह प्रस्ताव पेश किया था. उसके बाद से बालों का झड़ना देश में एक बड़ा मुद्दा बन गया है. दक्षिण कोरिया में मार्च में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं लेकिन इस बार का यह मुद्दा पहले हुए चुनावों के मुद्दों से पूरी तरह अलग है.

बालों का बोलबाला आमतौर पर दक्षिण कोरिया के चुनावों में सबसे बड़े मुद्दे उत्तर कोरिया, अमेरिका से संबंध और आर्थिक समस्याएं होती हैं. इस बार ऑनलाइन ग्रुप्स और सोशल मीडिया पर बाल झड़ना ही बड़ा मुद्दा बन गया है. इन समस्याओं से पीड़ित लोगों के सोशल ग्रुप्स में तो ली के प्रस्ताव के समर्थन में संदेशों की बाढ़ आ गई है. लेकिन कुछ लोग इस प्रस्ताव को लोक-लुभावन बताकर इसकी आलोचना भी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक संदेश है, "जाए-म्युंग भाई, मुझे तुमसे प्यार है. मैं तुम्हें ब्लू हाउस में रोप दूंगा.
" एक अन्य संदेश है, "महामहिम राष्ट्रपति जी, आपने पहली बार कोरिया के गंजों को एक उम्मीद दी है." ली ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि वह मानते हैं बालों को दोबारा उगाने का इलाज राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कवर किया जाना चाहिए. फेसबुक पर उन्होंने लिखा, "आप लोग कृपया हमें बताएं कि गिरते बालों का इलाज करवाने के लिए आपको किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा है और नीतियों में किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए. मैं बाल झड़ने के इलाज पर एक सटीक नीति पेश करूंगा." नाखुश हैं आलोचक ली एक बड़बोले लिबरल नेता हैं. सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार ली इस वक्त राष्ट्रीय सर्वेक्षणों से सबसे आगे चल रहे हैं.
हालांकि उनके आलोचक उन्हें एक खतरनाक लोकलुभावनवादी नेता कहते हैं. दक्षिणपंथी अखबार मुनवा लिबो ने गुरुवार को अपने संपादकीय में लिखा, "(ली का विचार) बहुत से ऐसे लोगों के लिए एक जरूरी कदम प्रतीत हो सकता है जो अपने गिरते बालों को लेकर चिंतित हैं लेकिन यह कोई गंभीर समस्या नहीं बल्कि एक गंभीर लोकलुभावनवादी कदम है क्योंकि इससे हमारी बीमा योजना की वित्तीय स्थिरता प्रभावित होगी." फिलहाल अनुवांशिक अथवा आयु के कारण बालों का गिरना दक्षिण कोरिया की सरकारी बीमा योजना का हिस्सा नहीं है. अगर किसी विशेष बीमारी के कारण बाल झड़ते हैं तभी उनके इलाज का खर्च बीमा योजना से मिलता है. कुछ रिपोर्ट बताती हैं कि देश के लगभग 20 प्रतिशत लोग बाल झड़ने की समस्या से पीड़ित हैं. 
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