सूडान में तख्तापलट के बाद हालात बदले, एक हफ्ते के अंदर चुना जाएगा नया प्रधान मंत्री और संप्रभु परिषद
लोकतांत्रिक व्यवस्था को फिर से बहाल करने की प्रक्रिया के लिए एक बड़ा खतरा माना जा रहा है।
सूडान में सैन्य तख्तापलट के बाद वहां हालात तेजी से बदल रहे हैं। सूडान के सेना चीफ जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान ने कहा है कि सूडान में एक नया प्रधान मंत्री और संप्रभु परिषद एक हफ्ते के अंदर चुना जाएगा। सूडान में सत्ता साझा करने वाली सत्ताधारी संस्था का नेतृत्व करने वाले जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान ने देश भर में आपातकाल की घोषणा की और मौजूदा सरकार को भंग कर दिया। सूडान के सैन्य नेता ने तख्तापलट की आलोचना करने वाले अमेरिका, यूरोपीय संघ और फ्रांस के दूतों समेत कम से कम छह राजदूतों को निकाल दिया है। इन लोगों ने सेना के देश की सत्ता पर कब्जा करने की निंदा की थी। जनरल अब्देल-फतह बुरहान ने बुधवार देर रात कतर, चीन और जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मिशन में सूडानी राजदूतों को भी निकाल दिया था।
राजनयिकों ने प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक की अब अपदस्थ सरकार के लिए अपना समर्थन देने का वादा किया है। राजदूतों को निकालने की कार्रवाई तख्तापलट के तीन दिन बाद की गई है। बुरहानी का दावा है कि राजनीतिक दलों के बीच झगड़े की वजह से सैन्य बल सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेने के लिए बाध्य हुआ और यदि ऐसा नहीं होता तो देश में गृह युद्ध छिड़ सकता था।
सेना द्वारा हिरासत में लिए गए लोकतंत्र समर्थकों में इस्माइल अल-ताज, सादिक अल-सादिक अल-महदीक और खालिद अल-सिलायक शामिल हैं। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से सेना पर तख्तापलट को वापस लेने का दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सेना द्वारा अपदस्थ प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक और उनकी पत्नी को घर लौटने की अनुमति देने के कुछ घंटों बाद ही लोकतंत्र समर्थक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्री रह चुके सूडान के प्रधानमंत्री हमदोक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को सोमवार को सेना द्वारा तख्तापलट के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। सूडान में सेना की ओर से किए गए तख्तापलट को देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को फिर से बहाल करने की प्रक्रिया के लिए एक बड़ा खतरा माना जा रहा है।