बड़ी अनहोनी का संकेत! 72 घंटों में महसूस किए गए तीन बड़े झटके

दुनिया भर में हर साल भूकंप के हजारों छोटे-बड़े झटके महसूस किए जाते हैं.

Update: 2021-02-14 14:26 GMT

दुनिया भर में हर साल भूकंप के हजारों छोटे-बड़े झटके महसूस किए जाते हैं. इस बीच रविवार को हिमाचल प्रदेश (Earthquake in Himachal Pradesh) में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.2 मापी गई है. वहीं इस भूकंप का एपीसेंटर बिलासपुर (Bilaspur) बताया गया है. इससे पहले दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR), जम्मू-कश्मीर (J&K), उत्तराखंड, हिमाचल और पंजाब समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे.

बड़ी अनहोनी का संकेत!
ऐसे में बीते 72 घंटों में तीन बार इतनी तेज धरती हिली की वहां रहने वाले लोग दहल गए. तीन दिनों के भीतर भूकंप के तीन तेज झटकों के बाद किसी संभावित बड़ी अनहोनी के कयास लग रहे हैं. बीते शुक्रवार को दिल्ली ( Earthquake in Delhi) में रिक्टर स्केल पर 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था. उसका केंद्र तजाकिस्तान (Tajikistan) में था. गौरतलब है कि भूकंप कब और कितनी तीव्रता का होगा इसे लेकर पुख्ता अनुमान लगाना फिलहाल संभव नहीं है. इसलिए वरिष्ठ भूवैज्ञानिकों ने एक बार फिर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एक उचित आपदा प्रबंधन रणनीति बनाने पर जोर दिया है.
न्यूजीलैंड में हिली धरती
न्यूजीलैंड (Earthquake in New Zealand) में 11 फरवरी को रिक्टर स्केल पर 7.7 की तीव्रता का भूकंप आया था. इसके बाद देश में सूनामी (Tsunami) आने का अलर्ट जारी हुआ था. इस भूकंप का इपिसेंटर
लॉयल्टी द्वीप समूह से 10 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व की गहराई पर केंद्रित था. इस भूकंप का असर पड़ोसी देश ऑस्ट्रेलिया पर भी पड़ा जिसके तटीय हिस्सों में सूनामी आने की चेतावनी जारी की गई थी.
उत्तर भारत में दहशत

वहीं न्यूजीलैंड में आए भूकंप के अगले दिन उत्तर भारत के कई हिस्सों में 6.3 तीव्रता के भूकंप का झटका महसूस किया गया. जिसका इपिसेंटर तजाकिस्तान (Tajikistan) में था. वहीं राष्ट्रीय राजधानी में तो 30 सेकंड से अधिक समय तक भूकंप के झटके महसूस किए गए.
जापान में 90 सेकेंड तक झटके
दुनिया में इन दो कुदरती संकेतों के नुकसान की चर्चा के बीच जापान (Japan) में 7.1 तीव्रता का भूकंप आने से सनसनी फैल गई. इस भूकंप का केंद्र फुकुशिमा में था. जापान में इसके साइड इफेक्ट के तहत लाखों घरों की बिजली गुल हुई. हालांकि भूंकप की वजह से परमाणु प्लांट में किसी तरह का न्यूक्लियर लीक इस बार नहीं देखने को मिला. जापान में करीब डेढ़ मिनट यानी 90 सेकेंड तक धरती रुक रुक कर हिलती रही जिसने 2011 में आए भूकंप और सूनामी की बुरी यादें ताजा कर दीं.
राजधानी टोक्यों तक दिखा असर
जापान के मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक भूकंप का केंद्र समुद्र तल के 37 मील नीचे था. राजधानी टोक्यो में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, वहां पर भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4 रही थी. प्रभावित लोगों ने इस दौरान अपनी आपबीती मीडिया के सामने साझा की.
क्या ये तूफान से पहले की खामोशी है?
अब जैसे-जैसे दुनिया के अलग अलग हिस्सों में भूकंप के तेज झटके आए. इसके बाद एक बार फिर प्राकतिक आपदा को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है. कुछ लोगों को अब आगे किसी बड़ी अनहोनी घटने का डर सता रहा है. लोग कह रहे हैं कि क्या यह सब किसी तूफान से पहले की खामोशी जैसा है? जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में भूविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. सौमित्र मुखर्जी ने कहा कि भूकंप आने से पहले धरती में परिवर्तन होते हैं, जिनका आंकलन करना संभव है.
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणाम स्वरूप भूकंप आता है. यह ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर, भूकंपी तरंगें उत्पन्न करती है, जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट होती है. भूकंप प्राकृतिक घटना या मानवजनित कारणों से भी आ सकता है. अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों की वजह से आते हैं. भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन, और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं.
जानकारों की राय
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के सेंटर फॉर सेमियोलॉजी एंड अर्थक्वेक रिस्क इवैल्यूएशन सेंटर के पूर्व प्रमुख एके शुक्ला ने कहा, ' भूकंप की एकदम सटीक भविष्यवाणी करने के लिए कोई तकनीक नहीं है इसलिए हालिया हाल ही में आए झटकों को एक चेतावनी की तरह लेना चाहिए. हमें ऐसी पुख्ता योजना की आवश्यकता है जो किसी भी बड़ी अनहोनी यानी ज्यादा तीव्रता के झटकों का सामना कर सके.' उन्होंने ये भी कहा कि जब भी हिमालय क्षेत्र में भूकंप आता है तो दिल्ली में भी उसका असर महसूस होता है.


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