पासाडेना: मंगल ग्रह पर हवा है कि नहीं ये तो नहीं पता. लेकिन वहां धूल के छोटे-बड़े बवंडर उड़ते देखे गए हैं. धूल की ये चक्कर-घिन्नी जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) में दिखी. वो भी एक नहीं कई. इसकी तस्वीर जेजेरो क्रेटर में मौजूद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के मार्स पर्सिवरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) ने ली है.
पर्सिवरेंस रोवर ने शुरुआती 100 दिनों के दौरान ही ऐसी कई तस्वीरें ली थीं, जिनमें कई धूल के बवंडर एक जगह से दूसरी जगह पर भागते दिख रहे हैं. नासा के वैज्ञानिक इन धूल के बवंडरों को डस्ट डेविल्स (Dust Devils) बुलाते हैं. अब वैज्ञानिक ये समझ रहे हैं कि जब मंगल ग्रह पर हवा जैसी कोई चीज नहीं है, तो ये धूल के बवंडर बनते कैसे हैं? क्योंकि इस बवंडर के लिए विंड यानी हवा का होना जरूरी है.
दूसरी बात ये है कि इन धूल के बवंडरों को समझना जरूरी है. नहीं तो भविष्य में ये रोबोटिक और इंसानी मिशनों के लिए दिक्कत खड़ी कर सकते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि जेजेरो क्रेटर मंगल ग्रह का एक बड़ा सोर्स है, जहां से सबसे ज्यादा धूल निकलती है. यह तस्वीर पर्सिवरेंस रोवर पर लगे मार्स एनवायरमेंटल डायनेमिक्स एनालाइजर (MEDA) ने ली है.
जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के डिप्टी प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर मैनुएल डे ला टोरे जुआरेज ने कहा कि जेजेरो क्रेटर मंगल ग्रह पर धूल फैलाने वाले प्रमुख स्रोतों में से एक हो सकता है. हम जितना ज्यादा धूल भरी आंधियों और बवंडरों के बारे में समझेंगे, उतना ही हमें भविष्य के मिशनों में आसानी होगी.
तीन बार तो रोवर के कैमरे ने बड़े स्तर के धूल के बादलों को उड़ते देखा है. इन्हें वैज्ञानिक गस्ट लिफ्टिंग इवेंट्स कहते हैं. इसमें धूल का सबसे बड़ा बादल 4 वर्ग किलोमीटर आकार का था. बस वैज्ञानिक ये समझने का प्रयास कर रहे हैं कि बिना हवा वाले वायुमंडल में धूल बवंडर, आंधी या बादलों के रूप में कैसे उड़ती है.